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Home Barish Shayari Sawan Ki Barish Shayari in Hindi - सावन की बारिश शायरी इन हिंदी

तुम छत पे नही आए मैं घर से नही निकला

तुम छत पे नही आए मैं घर से नही निकलातुम छत पे नही आए मैं घर से नही निकला,
ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओ में।

वक़्ते-रुख़सत तैरती है जो किसी की आँख मेंवक़्ते-रुख़सत तैरती है जो किसी की आँख में,
सारे सावन पानी भरते उस नमी के सामने।

बारिश का हो गया आगाज़ बादलो से निकली है आवाजबारिश का हो गया आगाज़,
बादलो से निकली है आवाज,
घर से बहार आ जाओ सब,
और देखो सावन का मिज़ाज़।

मिटटी की सौंधी सी खुशबू आने लगी हैमिटटी की सौंधी सी खुशबू आने लगी है,
गर्मी अब दूर भाग जाने लगी है,
देखो प्यास भी अब बुझ जाने लगी है,
लगता है सावन की रुत छाने लगी है।

गर्मियों में राहत देता है सावनगर्मियों में राहत देता है सावन,
चुरा लेता है हर किसी का मन,
महक जाता है हर एक इंसान,
जैसे बेजान में भी आ जाये प्राण।

सावन की बूंदे दे रही है दस्तकसावन की बूंदे दे रही है दस्तक,
इस साल का सावन आप सभी को मुबारक।

सावन के बारिश में अब वो बात कहाँसावन के बारिश में अब वो बात कहाँ,
जो बात मेरी इन आँखों की बरसातों में है।

मेरी मोहब्बत तुमसे है सावन से नहींमेरी मोहब्बत तुमसे है सावन से नहीं,
फिर चाहे वो हमें कितना भी तड़पाले।

सावन की बुंदे टूट टूट कर तुझपर बिखरी हैसावन की बुंदे टूट टूट कर तुझपर बिखरी है,
कसम से हम भी बिखर गए तुझे देखकर।

सावन के महीने में भीगे थे हम साथ मेंसावन के महीने में भीगे थे हम साथ में,
अब बिन मौसम भीग रहे है तेरी याद में।

सावन का महिना बारिश थी ज़ोरो किसावन का महिना, बारिश थी ज़ोरो कि,
अपनों की महफिल में शिकायत थी ओरो की।

सावन-भादों साठ ही दिन हैं फिर वो रुत की बात कहाँसावन-भादों साठ ही दिन हैं, फिर वो रुत की बात कहाँ,
अपने अश्क मुसलसल बरसें, अपनी-सी बरसात कहाँ।

ऐ सावन की बारिश जरा थम के बरसऐ सावन की बारिश जरा थम के बरस,
जब मेरा सनम आ जाए तो जम के बरस,
पहले ना बरस कि वो आ न सके,
जब वो आ जाए तो इतना बरस कि वो जा न सके।

सावन में खुशियाँ कैसे चुराते है बताओगे क्यासावन में खुशियाँ कैसे चुराते है बताओगे क्या,
बारिश में मैं भीग रही हूँ तुम भी आओगे क्या।

वो भला क्यूँ कदर करते हमारे अश्को कीवो भला क्यूँ कदर करते हमारे अश्को की,
सुना है सावन उनके शहर पर कुछ ज्यादा मेहरबान रहता है।

फिजाओं में रंग कुछ इस तरह मिल जाएँफिजाओं में रंग कुछ इस तरह मिल जाएँ,
कि मुरझाई हुई कलियाँ खिल जाएँ,
अबके सावन मिले हम एक दूजे से कुछ ऐसे
कि मैं तुझमें घुल जाऊं, तू मुझमें घुल जाएँ।

मेरे दिल का मौसम भी सावन जैसा आज हो जायेमेरे दिल का मौसम भी सावन जैसा आज हो जाये,
बस पल भर के लिए ही अगर उसे मुझसे प्यार हो जाये।

बारिश की टिप-टिप आवाज़ मेरे दर्द-ऐ-दिल को और गहराबारिश की टिप-टिप आवाज़,
मेरे दर्द-ऐ-दिल को और गहरा कर जाती है,
तुम नहीं हो मेरे साथ,
ये सावन की रुत जता जाती है।

यूँ सावन में तुम मुझे दूर जाया न करोयूँ सावन में तुम मुझे दूर जाया न करो,
जाया करों तो मुझे याद आया न करो,
याद आया करों तो मुझे तड़पाया न करो,
तड़पाया करो मगर सावन में जाया न करो।

जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैंजो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं,
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं।

तुम छत पे नही आए मैं घर से नही निकलातुम छत पे नही आए मैं घर से नही निकला,
ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओ में।


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