यूँ सावन में तुम मुझे दूर जाया न करो,
जाया करों तो मुझे याद आया न करो,
याद आया करों तो मुझे तड़पाया न करो,
तड़पाया करो मगर सावन में जाया न करो।
जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं,
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं।
सावन-भादों साठ ही दिन हैं, फिर वो रुत की बात कहाँ,
अपने अश्क मुसलसल बरसें, अपनी-सी बरसात कहाँ।
ये बेदर्द सावन आखिर क्यों आता है,
मेरे दिल के घावों को हरा कर जाता है।
सूनसान सड़के हो और हम दोनों राहों में हो,
खूब जोर से बारिश हो और हम एक दुसरे के बाहो में हो,
तू दूर जाएँ मगर तेरी ख्वाहिश ना हो,
सावन झूम कर आये मगर बारिश ना हो।
गर्मी हो गयी थोड़ी कम,
क्यूंकि सावन का हुआ वेलकम,
महक लो इस बारिश में ,
कही ये ना हो जाये कम।
काश मेरी एक ख्वाइश पूरी हो जाए,
वो बचपन का सावन वो कागज की कश्ती,
और वो बारिश का पानी मिल जाए।
मेरी मोहब्बत तुमसे है सावन से नहीं,
फिर चाहे वो हमें कितना भी तड़पाले।
जब-जब घिरे बादल तेरी याद आई,
जब झूम के बरसा सावन तेरी याद आई।
सावन का अंदाज़ बड़ा लुभाता,
सौंधी खुशबू से सबको महकाता,
इस बारिश का मज़ा लेने के लिए,
हर कोई अपने घर से निकल आता।