ऐ सावन की बारिश जरा थम के बरस,
जब मेरा सनम आ जाए तो जम के बरस,
पहले ना बरस कि वो आ न सके,
जब वो आ जाए तो इतना बरस कि वो जा न सके।
सावन की बूंदों में झलकती है उसकी तस्वीर,
आज फिर भीग बैठे उसे पाने की चाहत में।
सावन की रुत आ पहुँची काले बादल छाएँगे,
कलियाँ रंग में भीगेंगी फूलों में रस आएँगे,
हाँ वो मिलने आएँगे रहम भी कुछ फ़रमाएँगे,
हुस्न मगर चुटकी लेगा फिर क़ातिल बन जाएँगे।
घायल है दिल मेरा तड़पता बोहोत है,
इन आंखों का सावन बरसता बोहोत है।
सावन की बुंदे टूट टूट कर तुझपर बिखरी है,
कसम से हम भी बिखर गए तुझे देखकर।
सावन आता है और चला भी जाता है,
मगर एक सावन हमेशा मेरी आंखो में रहता है।
अगर हृदय में प्रेम की बारिश हो,
तो हर मौसम सावन से कम नहीं होता।
सावन एक महीने क़ैसर आँसू जीवन भर,
इन आँखों के आगे बादल बे-औक़ात लगे।
दो टके की नौकरी करने वालो,
लाखों का सावन आ रहा है।
झड़ी ऐसी लगा दी है मेरे अश्कों की बारिश ने,
दबा रक्खा है भादों को भुला रक्खा है सावन को।