सावन हर साल आता है,
कभी ज्यादा कभी कम भीगाता है,
आओ मिलकर झूमे इस मौसम में,
फिर ये लम्हा कहा लौटकर आता है।
इस सावन में हम भीग जायेंगे,
दिल में तमन्ना के फूल खिल जायेंगे,
अगर दिल करे मिलने को तो याद करना,
बरसात बनकर हम बरस जायेंगे।
मौसम का नया अंदाज है,
नया सवेरा उसके साथ है,
जरा दरवाजा खोल के देखो,
भीगा सावन भी उसके साथ है।
सावन की मीठी-सी बरसात है,
सावन से त्योहारों की शुरुआत है।
नज़ारा बेहद कमाल लगता है ,
खुदा की ये कैसी करामात है।
सावन हर साल आता है,
कभी ज्यादा कभी कम भीगाता है,
आओ मिलकर झूमे इस मौसम में,
फिर ये लम्हा कहा लौटकर आता है।
सावन आता है आपकी याद दिलाता है,
आपसे दूर होने का एहसास दिलाता है,
आंखे हैं नम और ज़ख्म भी ताजा है,
ये मौसम फिर आपसे प्यार करवाता है।
बनके सावन कहीं वो बरसते रहे,
इक घटा के लिए हम तरसते रहे,
आस्तीनों के साये में पाला जिन्हें,
साँप बनकर वही रोज डसते रहे।
मौसम का अंदाज़ भाया है,
नए संवेरे साथ लाया है,
दरवाज़ा खोल के देखो,
भीगा हुआ सावन आया है।