जितना हंसा उससे ज्यादा रोया हु मै,
इंतजार ने आंखो को सावन बना दिया।
कह दो सावन से जम के बरसना,
क्योकी मेरा प्यार मेरे साथ है।
बिजली युही गरजेगी युही बरसेगे बादल,
सावन जो आया है चुराने आँखों का काजल।
कैसे रास्ता भटके मुसाफिर जब मंजिल इतनी पास हो,
प्यासा कैसे रहेगा राही जब सावन की बरसात हो।
सावन की बरसात में,
एक बार फिर भीगे हैं, उनको पाने की चाहत में।
सावन आता है आपकी याद दिलाता है,
आपसे दूर होने का एहसास दिलाता है,
आंखे हैं नम और ज़ख्म भी ताजा है,
ये मौसम फिर आपसे प्यार करवाता है।
कितने सावन गुज़रे तुम्हारी यादों में,
कोई तो सावन ऐसा दो जो बीते तुम्हारी बाहों में।
सावन की बरसात की तरह झरने दो, इसे झरने दो,
ये तुम्हारा नाम मेरे सीने में, मेरी साँसों में रहने दो।
ये कैसी जुदाई है आँख मेरी भर आई है,
सावन की हर एक बरसती बूँद में तेरी ही परछाई है।
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।