पतझड़ दिया था वक़्त ने सौगात में मुझे,
मैने वक़्त की जेब से सावन चुरा लिया।
अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई।
सावन हर साल आता है,
कभी ज्यादा कभी कम भीगाता है,
आओ मिलकर झूमे इस मौसम में,
फिर ये लम्हा कहा लौटकर आता है।
सावन आता है आपकी याद दिलाता है,
आपसे दूर होने का एहसास दिलाता है,
आंखे हैं नम और ज़ख्म भी ताजा है,
ये मौसम फिर आपसे प्यार करवाता है।
मौसम है सावन का और याद तुम्हारी आती है,
बारिश के हर कतरे से आवाज़ तुम्हारी आती है,
बादल जब गरजते हैं, दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
दिल की हर इक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है।
लाख बरसे झूम के सावन मगर वो बात कहाँ,
जो ठंडक पङती है दिल में तेरे मुस्कुराने से।
सावन ने आज मुझे बहुत तरसाया है,
मेरा घर छोड़कर सारे शहर को भिगाया है।
खुद भी रोता है, मुझे भी रूला के जाता है,
ये सावन का महीना उसकी याद दिला जाता है।
भले ही हम सावन में भीगे ना हो,
मगर दिल को मैंने आंसुओ में डुबोया है।
सावन का मज़ा लेना है,
तो घर से बहार आना होगा,
कपड़ो की फिक्र किये बिना,
फिर मस्ती से भीग जाना होगा।