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Home Best Sawan Ki Barsat Shayari, Status, Quotes in Hindi Sawan Ki Barsat Shayari in Hindi - सावन की बरसात शायरी इन हिंदी

आसमान भी बरसा नहीं अबकी सावन में

आसमान भी बरसा नहीं अबकी सावन मेंआसमान भी बरसा नहीं अबकी सावन में,
मेरी आँखें बरसती रही दिल के आँगन में।

भले ही हम सावन में भीगे ना होभले ही हम सावन में भीगे ना हो,
मगर दिल को मैंने आंसुओ में डुबोया है।

सावन के बरसात में अजीब कशिश हैसावन के बरसात में अजीब कशिश है,
ना चाहते हुए भी कोई शिद्दत से याद आता है।

आसमान भी बरसा नहीं अबकी सावन मेंआसमान भी बरसा नहीं अबकी सावन में,
मेरी आँखें बरसती रही दिल के आँगन में।

बिजली युही गरजेगी युही बरसेगे बादलबिजली युही गरजेगी युही बरसेगे बादल,
सावन जो आया है चुराने आँखों का काजल।

सावन का मज़ा लेना है तो घर से बहार आना होगासावन का मज़ा लेना है,
तो घर से बहार आना होगा,
कपड़ो की फिक्र किये बिना,
फिर मस्ती से भीग जाना होगा।

मुझे मालूम है तूमनें बहुत बरसातें देखी हैमुझे मालूम है तूमनें बहुत बरसातें देखी है,
मगर मेरी इन्हीं आँखों से सावन हार जाता है।

मौसम का अंदाज़ भाया है नए संवेरे साथ लाया हैमौसम का अंदाज़ भाया है,
नए संवेरे साथ लाया है,
दरवाज़ा खोल के देखो,
भीगा हुआ सावन आया है।

कितने सावन गुज़रे तुम्हारी यादों मेंकितने सावन गुज़रे तुम्हारी यादों में,
कोई तो सावन ऐसा दो जो बीते तुम्हारी बाहों में।

भुलना तो चाहते हैं तुम्हें मगर क्या करेभुलना तो चाहते हैं तुम्हें मगर क्या करे,
सावन आते ही तुम फिरसे याद आने लगती हो।

पतझड़ दिया था वक़्त ने सौगात में मुझेपतझड़ दिया था वक़्त ने सौगात में मुझे,
मैने वक़्त की जेब से सावन चुरा लिया।

सावन आता है आपकी याद दिलाता हैसावन आता है आपकी याद दिलाता है,
आपसे दूर होने का एहसास दिलाता है,
आंखे हैं नम और ज़ख्म भी ताजा है,
ये मौसम फिर आपसे प्यार करवाता है।

तुम रूठ जाती हो तो सावन बड़ा सताता हैतुम रूठ जाती हो तो सावन बड़ा सताता है,
यह बारिश में बहाने मुझे भी बड़ा रूलाता है।

जितना हंसा उससे ज्यादा रोया हु मैजितना हंसा उससे ज्यादा रोया हु मै,
इंतजार ने आंखो को सावन बना दिया।

अब के सावन तो बरसता हुआ यू लगता हैअब के सावन तो बरसता हुआ यू लगता है,
आसमा पर भी तेरे गम की घटा छाई हो।

रोक कर बैठे हैं कई समंदर आंखें मेंरोक कर बैठे हैं कई समंदर आंखें में,
दगाबाज़ निकला सावन तो हम खुद ही बरस लेंगे।

बनके सावन कहीं वो बरसते रहेबनके सावन कहीं वो बरसते रहे,
इक घटा के लिए हम तरसते रहे,
आस्तीनों के साये में पाला जिन्हें,
साँप बनकर वही रोज डसते रहे।

अब कौन से मौसम से कोई आस लगायेंअब कौन से मौसम से कोई आस लगायें,
जब सावन के महीने में भी याद ना उन को हम आयें।

क़दम क़दम पर सिसकी और क़दम क़दम पर आहेंक़दम क़दम पर सिसकी और क़दम क़दम पर आहें,
खिजाँ की बात न पूछो सावन ने भी तड़पाया मुझे।

जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैंजो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं,
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं।

बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगीबदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।


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