सावन खुद तो आया है,
साथ में त्यौहार लाया है,
देख कर ये सावन की नजाकत,
मन खुशियों से भर आया है।
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई।
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।
कह दो सावन से जम के बरसना,
क्योकी मेरा प्यार मेरे साथ है।
कैसे रास्ता भटके मुसाफिर जब मंजिल इतनी पास हो,
प्यासा कैसे रहेगा राही जब सावन की बरसात हो।
रुकी रुकी सी है बरसात ख़ुश्क है सावन,
ये और बात कि मौसम यही नुमू का है।
मौसम का नया अंदाज है,
नया सवेरा उसके साथ है,
जरा दरवाजा खोल के देखो,
भीगा सावन भी उसके साथ है।
मालूम है ये सावन अगले बरस भी आएगा,
पर तुम अभी आ जाओगे तो क्या बिगड़ जायेगा।
सावन की बरसात में,
एक बार फिर भीगे हैं, उनको पाने की चाहत में।
रोक कर बैठे हैं कई समंदर आंखें में,
दगाबाज़ निकला सावन तो हम खुद ही बरस लेंगे।