बरसात ना हुई इस सावन में मगर,
मेरी आंखे बरसी तेरी चाहत में।
जितना हंसा उससे ज्यादा रोया हु मै,
इंतजार ने आंखो को सावन बना दिया।
मालूम है ये सावन अगले बरस भी आएगा,
पर तुम अभी आ जाओगे तो क्या बिगड़ जायेगा।
अब कौन घटाओं को रोक पाएगा,
जुल्फे जो बिखरी तेरी लगता है सावन आएगा।
कितने सावन गुज़रे तुम्हारी यादों में,
कोई तो सावन ऐसा दो जो बीते तुम्हारी बाहों में।
सावन हर साल आता है,
कभी ज्यादा कभी कम भीगाता है,
आओ मिलकर झूमे इस मौसम में,
फिर ये लम्हा कहा लौटकर आता है।
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई।
फिजाओं में रंग इस तरह मिल जाए,
कि मुरझाई हुई कलिया फिर खिल जाए,
इस सावन में मिले हम दोनों कुछ ऐसे,
कि हम एक दूसरे में पूरा घुल जाए।
मौसम है सावन का और याद तुम्हारी आती है,
बारिश के हर कतरे से आवाज़ तुम्हारी आती है,
बादल जब गरजते हैं, दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
दिल की हर इक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है।
खुद भी रोता है, मुझे भी रूला के जाता है,
ये सावन का महीना उसकी याद दिला जाता है।