अब कौन घटाओं को रोक पाएगा,
जुल्फे जो बिखरी तेरी लगता है सावन आएगा।
आपको दिल में रखा ही इसलिए है ताकी,
सावन में आप पर मोहब्बत की बरिश कर सके।
रोक कर बैठे हैं कई समंदर आंखें में,
दगाबाज़ निकला सावन तो हम खुद ही बरस लेंगे।
मौसम है सावन का और याद तुम्हारी आती है,
बारिश के हर कतरे से आवाज़ तुम्हारी आती है,
बादल जब गरजते हैं, दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
दिल की हर इक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है।
रुकी रुकी सी है बरसात ख़ुश्क है सावन,
ये और बात कि मौसम यही नुमू का है।
बिजली युही गरजेगी युही बरसेगे बादल,
सावन जो आया है चुराने आँखों का काजल।
भले ही हम सावन में भीगे ना हो,
मगर दिल को मैंने आंसुओ में डुबोया है।
कैसा सावन है ये, खुल के बरसता ही नहीं,
देखने में तेरी जुल्फो की घटा ही खूब सही।
सावन का ये मौसम कुछ याद दिलाता हैं,
किसी के साथ होने का एहसास दिलाता हैं,
फ़िज़ा भी सर्द हैं यादें भी ताज़ा हैं,
ये मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता हैं।
सावन के बरसात में अजीब कशिश है,
ना चाहते हुए भी कोई शिद्दत से याद आता है।