सावन का मज़ा लेना है,
तो घर से बहार आना होगा,
कपड़ो की फिक्र किये बिना,
फिर मस्ती से भीग जाना होगा।
कह दो सावन से जम के बरसना,
क्योकी मेरा प्यार मेरे साथ है।
सावन का ये मौसम कुछ याद दिलाता है,
किसी के साथ होने का एहसास दिलाता है,
फिजा भी सर्द है यादें भी ताजा है,
ये मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता है।
रोक कर बैठे हैं कई समंदर आंखें में,
दगाबाज़ निकला सावन तो हम खुद ही बरस लेंगे।
सावन की मीठी-सी बरसात है,
सावन से त्योहारों की शुरुआत है।
नज़ारा बेहद कमाल लगता है ,
खुदा की ये कैसी करामात है।
अब कौन से मौसम से कोई आस लगायें,
जब सावन के महीने में भी याद ना उन को हम आयें।
फिजाओं में रंग इस तरह मिल जाए,
कि मुरझाई हुई कलिया फिर खिल जाए,
इस सावन में मिले हम दोनों कुछ ऐसे,
कि हम एक दूसरे में पूरा घुल जाए।
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई।
पतझड़ दिया था वक़्त ने सौगात में मुझे,
मैने वक़्त की जेब से सावन चुरा लिया।
मौसम है सावन का और याद तुम्हारी आती है,
बारिश के हर कतरे से आवाज़ तुम्हारी आती है,
बादल जब गरजते हैं, दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
दिल की हर इक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है।
मुझे मालूम है तूमनें बहुत बरसातें देखी है,
मगर मेरी इन्हीं आँखों से सावन हार जाता है।
मौसम का अंदाज़ भाया है,
नए संवेरे साथ लाया है,
दरवाज़ा खोल के देखो,
भीगा हुआ सावन आया है।
सावन की बरसात की तरह झरने दो, इसे झरने दो,
ये तुम्हारा नाम मेरे सीने में, मेरी साँसों में रहने दो।
आपको दिल में रखा ही इसलिए है ताकी,
सावन में आप पर मोहब्बत की बरिश कर सके।
रुकी रुकी सी है बरसात ख़ुश्क है सावन,
ये और बात कि मौसम यही नुमू का है।
भले ही हम सावन में भीगे ना हो,
मगर दिल को मैंने आंसुओ में डुबोया है।
भुलना तो चाहते हैं तुम्हें मगर क्या करे,
सावन आते ही तुम फिरसे याद आने लगती हो।
कितने सावन गुज़रे तुम्हारी यादों में,
कोई तो सावन ऐसा दो जो बीते तुम्हारी बाहों में।
कैसे रास्ता भटके मुसाफिर जब मंजिल इतनी पास हो,
प्यासा कैसे रहेगा राही जब सावन की बरसात हो।