सावन आता है आपकी याद दिलाता है,
आपसे दूर होने का एहसास दिलाता है,
आंखे हैं नम और ज़ख्म भी ताजा है,
ये मौसम फिर आपसे प्यार करवाता है।
फिजाओं में रंग इस तरह मिल जाए,
कि मुरझाई हुई कलिया फिर खिल जाए,
इस सावन में मिले हम दोनों कुछ ऐसे,
कि हम एक दूसरे में पूरा घुल जाए।
मौसम है सावन का और याद तुम्हारी आती है,
बारिश के हर कतरे से आवाज़ तुम्हारी आती है,
बादल जब गरजते हैं, दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
दिल की हर इक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है।
जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं,
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं।
सावन का ये मौसम कुछ याद दिलाता हैं,
किसी के साथ होने का एहसास दिलाता हैं,
फ़िज़ा भी सर्द हैं यादें भी ताज़ा हैं,
ये मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता हैं।
कैसा सावन है ये, खुल के बरसता ही नहीं,
देखने में तेरी जुल्फो की घटा ही खूब सही।
सावन का हो गया है आगाज़,
आने लगी बूंदों की आवाज़,
चाय-पकोड़ो की प्लेट सजाओ,
और हमें अपना मेहमान बनाओ।
बनके सावन कहीं वो बरसते रहे,
इक घटा के लिए हम तरसते रहे,
आस्तीनों के साये में पाला जिन्हें,
साँप बनकर वही रोज डसते रहे।
भुलना तो चाहते हैं तुम्हें मगर क्या करे,
सावन आते ही तुम फिरसे याद आने लगती हो।
अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई।