सावन की बरसात की तरह झरने दो, इसे झरने दो,
ये तुम्हारा नाम मेरे सीने में, मेरी साँसों में रहने दो।
बरसात ना हुई इस सावन में मगर,
मेरी आंखे बरसी तेरी चाहत में।
सावन का हो गया है आगाज़,
आने लगी बूंदों की आवाज़,
चाय-पकोड़ो की प्लेट सजाओ,
और हमें अपना मेहमान बनाओ।
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।
इस सावन में हम भीग जायेंगे,
दिल में तमन्ना के फूल खिल जायेंगे,
अगर दिल करे मिलने को तो याद करना,
बरसात बनकर हम बरस जायेंगे।
जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं,
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं।
भुलना तो चाहते हैं तुम्हें मगर क्या करे,
सावन आते ही तुम फिरसे याद आने लगती हो।
कैसे रास्ता भटके मुसाफिर जब मंजिल इतनी पास हो,
प्यासा कैसे रहेगा राही जब सावन की बरसात हो।
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई।
मालूम है ये सावन अगले बरस भी आएगा,
पर तुम अभी आ जाओगे तो क्या बिगड़ जायेगा।