सावन का हो गया है आगाज़,
आने लगी बूंदों की आवाज़,
चाय-पकोड़ो की प्लेट सजाओ,
और हमें अपना मेहमान बनाओ।
फिजाओं में रंग इस तरह मिल जाए,
कि मुरझाई हुई कलिया फिर खिल जाए,
इस सावन में मिले हम दोनों कुछ ऐसे,
कि हम एक दूसरे में पूरा घुल जाए।
इस सावन में हम भीग जायेंगे,
दिल में तमन्ना के फूल खिल जायेंगे,
अगर दिल करे मिलने को तो याद करना,
बरसात बनकर हम बरस जायेंगे।
बिजली युही गरजेगी युही बरसेगे बादल,
सावन जो आया है चुराने आँखों का काजल।
सावन के बरसात में अजीब कशिश है,
ना चाहते हुए भी कोई शिद्दत से याद आता है।
कैसे रास्ता भटके मुसाफिर जब मंजिल इतनी पास हो,
प्यासा कैसे रहेगा राही जब सावन की बरसात हो।
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।
जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं,
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं।
लाख बरसे झूम के सावन मगर वो बात कहाँ,
जो ठंडक पङती है दिल में तेरे मुस्कुराने से।
सावन का मज़ा लेना है,
तो घर से बहार आना होगा,
कपड़ो की फिक्र किये बिना,
फिर मस्ती से भीग जाना होगा।