जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं,
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं।
पतझड़ दिया था वक़्त ने सौगात में मुझे,
मैने वक़्त की जेब से सावन चुरा लिया।
रोक कर बैठे हैं कई समंदर आंखें में,
दगाबाज़ निकला सावन तो हम खुद ही बरस लेंगे।
सावन की बरसात की तरह झरने दो, इसे झरने दो,
ये तुम्हारा नाम मेरे सीने में, मेरी साँसों में रहने दो।
कह दो सावन से जम के बरसना,
क्योकी मेरा प्यार मेरे साथ है।
लाख बरसे झूम के सावन मगर वो बात कहाँ,
जो ठंडक पङती है दिल में तेरे मुस्कुराने से।
सावन के बरसात में अजीब कशिश है,
ना चाहते हुए भी कोई शिद्दत से याद आता है।
अब के सावन तो बरसता हुआ यू लगता है,
आसमा पर भी तेरे गम की घटा छाई हो।
सावन का ये मौसम कुछ याद दिलाता हैं,
किसी के साथ होने का एहसास दिलाता हैं,
फ़िज़ा भी सर्द हैं यादें भी ताज़ा हैं,
ये मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता हैं।
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।