सावन हर साल आता है,
कभी ज्यादा कभी कम भीगाता है,
आओ मिलकर झूमे इस मौसम में,
फिर ये लम्हा कहा लौटकर आता है।
बरसात ना हुई इस सावन में मगर,
मेरी आंखे बरसी तेरी चाहत में।
ये इकतरफा इश्क़ भी क्या गज़ब ढाता है,
दिल में आग सावन के महीने में लगाता है।
मौसम है सावन का और याद तुम्हारी आती है,
बारिश के हर कतरे से आवाज़ तुम्हारी आती है,
बादल जब गरजते हैं, दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
दिल की हर इक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है।
सावन की बरसात की तरह झरने दो, इसे झरने दो,
ये तुम्हारा नाम मेरे सीने में, मेरी साँसों में रहने दो।
सावन की मीठी-सी बरसात है,
सावन से त्योहारों की शुरुआत है।
नज़ारा बेहद कमाल लगता है ,
खुदा की ये कैसी करामात है।
सावन ने आज मुझे बहुत तरसाया है,
मेरा घर छोड़कर सारे शहर को भिगाया है।
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।
अब के सावन तो बरसता हुआ यू लगता है,
आसमा पर भी तेरे गम की घटा छाई हो।
सावन की बरसात में,
एक बार फिर भीगे हैं, उनको पाने की चाहत में।