कश्तियां रह जाती हैं तूफान चले जाते हैं,
याद रह जाती है इंसान चले जाते हैं,
प्यार कम नहीं होता किसी के दूर जाने से,
बस दर्द होता है उनकी याद आने से।
जिससे चाहा था बिखरने से बचा ले मुझको,
कर गया तेज हवाओं के हवाले मुझ को,
मैं वो बुत हूँ कि तेरी याद मुझे पूजती है,
फिर भी डर है ये कहीं तोड़ न डाले मुझको।
फिर पलट रही हैं सर्दियों की सुहानी रातें,
फिर तेरी याद में जलने के जमाने आ गए।
कभी याद आती है कभी उनके ख्वाब आते हैं,
मुझे सताने के सलीके तो उन्हें बेहिसाब आते हैं।
हर चाँद सितारे में तेरी तस्वीर नजर आई,
फिर इस तन्हा रात में तेरी याद चली आई,
दूर तुझसे रहकर ये साँस थम चुकी थी,
जो कहीं नाम तेरा आया तो साँस लौट आई।
तुम्हारी याद के सहारे जिए जाते है,
वरना हम तो कब के मर गए होते,
जो जख्म दिल में नासूर बन गए,
जख्म वो कब के भर गए होते।
यकीन करो मेरा, लाख कोशिशें कर चुका हूँ मैं,
ना सीने की धड़कन रुकती है, ना तुम्हारी याद।
प्यार की दास्तां जब भी वक्त दोहरायेगा,
हमें भी एक शख्स बहुत याद आयेगा,
जब उसके साथ बिताये लम्हें याद आयेंगे,
आँखें नम हो जाएँगी दिल आंसू बहायेगा।
दो लफ्ज़ क्या लिखे तेरी याद में हमने,
लोग कहने लगे तू आशिक बहुत पुराना है।
आज यह कैसी उदासी छाई है,
तन्हाई के बादल से भीगी जुदाई है,
टूट के रोया है फिर मेरा दिल,
जाने आज किसकी याद आई है।
नींद आँखों में नहीं वो ख्वाब खो गए,
तन्हा ही थे, कुछ तेरे बिन हम हो गए,
दिल कुछ तड़प उठा, ज़ुबान भी लड़खड़ाई,
तेरी याद में दो आँसू चुपके से बह गए।
जो तूने दिया उसे हम याद करेंगे,
हर पल तेरे मिलने की फ़रियाद करेंगे,
चले आना जब कभी ख्याल आये मेरा,
हम रोज़ खुदा से पहले तुझे याद करेंगे।
उसकी याद ने आज फिर रुला दिया,
कैसा है वो चेहरा जिसने ये सिला दिया,
ग़मों में रहने का जिसे तरीका ना था,
उसकी याद ने ढेरों ग़मों के साथ जीना सिखा दिया।
हर रात रो-रो के उसे भुलाने लगे,
आंसुओं में उस के प्यार को बहाने लगे,
ये दिल भी कितना अजीब है कि,
रोये हम तो वो और भी याद आने लगे।
ज़िक्र उनका ही आता है मेरे फ़साने में,
जिनको जान से ज्यदा चाहते थे हम किसी ज़माने में।
तन्हाई में उनकी ही याद का सहारा मिला,
जिनको नाकाम रहे हम भुलानें में।
जब रात को आपकी याद आती है,
सितारों में आपकी तस्वीर नज़र आती है,
खोजती है निगाहें उस चेहरे को,
याद में जिसकी सुबह हो जाती है।
अभी तक दिल में रोशन हैं तुम्हारी याद के जुगनू,
अभी इस राख में चिंगारियां आराम करती हैं।
नया कुछ भी नहीं हमदम वही आलम पुराना है,
तुम्हें भुलाने की कोशिश है तुम्हीं को याद आना है।
वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत न रही,
फिर यूँ हुआ के दर्द में शिद्दत न रही,
अपनी जिंदगी में हो गए मसरूफ वो इतना,
कि हम को याद करने की फुर्सत न रही।
ज़माने के सवालों को मैं हंस के टाल दू फ़राज़,
लेकिन नमी आंखों की कहती है मुझे तुम याद आते हो।