कोई चला गया दूर हमसे तो क्या करें,
कोई मिटा गया सब निशान तो क्या करें,
याद आती है उनकी हमें हद से ज्यादा,
मगर वो याद ना करें तो क्या करें?
ज़िक्र उनका ही आता है मेरे फ़साने में,
जिनको जान से ज्यदा चाहते थे हम किसी ज़माने में।
तन्हाई में उनकी ही याद का सहारा मिला,
जिनको नाकाम रहे हम भुलानें में।
फिर उसकी याद, फिर उसकी आस, फिर उसकी बातें,
ऐ दिल लगता है तुझे तड़पने का बहुत शौक है।
वो वक़्त वो लम्हे कुछ अजीब होंगे,
दुनिया में हम खुश नसीब होंगे,
दूर से जब इतना याद करते है आपको,
क्या होगा जब आप हमारे करीब होंगे?
यकीन करो मेरा, लाख कोशिशें कर चुका हूँ मैं,
ना सीने की धड़कन रुकती है, ना तुम्हारी याद।
ज़माने के सवालों को मैं हंस के टाल दू फ़राज़,
लेकिन नमी आंखों की कहती है मुझे तुम याद आते हो।
ये अच्छा उसने मेरे कतल का तरीका ईजाद किया,
मर जाता मैं हिचकियो से, इतना मुझे याद किया।
कभी याद आती है कभी उनके ख्वाब आते हैं,
मुझे सताने के सलीके तो उन्हें बेहिसाब आते हैं।
हमें फुर्सत में याद करते हो तो मत करो,
मैं तन्हा हो सकता हूँ मगर फिजूल नहीं।
हम भूल जाये ऐसी दिल की हसरत कहाँ,
वो याद करे हमे इतनी उसे फुर्सत कहाँ,
जिनके चारो तरफ हो अपनों का साथ,
ऐसे सनम को हमारी जरुरत ही कहाँ।