नया कुछ भी नहीं हमदम वही आलम पुराना है,
तुम्हें भुलाने की कोशिश है तुम्हीं को याद आना है।
याद कर के भूलना ही न आया हमें,
किसी के दिल को सताना ही ना आया हमें,
किसी के लिए तड़पना तो सीख लिया,
अपने लिए किसी को तड़पाना न आया हमें।
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे,
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।
हम भूल जाये ऐसी दिल की हसरत कहाँ,
वो याद करे हमे इतनी उसे फुर्सत कहाँ,
जिनके चारो तरफ हो अपनों का साथ,
ऐसे सनम को हमारी जरुरत ही कहाँ।
उसकी याद ने आज फिर रुला दिया,
कैसा है वो चेहरा जिसने ये सिला दिया,
ग़मों में रहने का जिसे तरीका ना था,
उसकी याद ने ढेरों ग़मों के साथ जीना सिखा दिया।
न चाहकर भी मेरे होठो पर ये फ़िरयाद आ जाती है,
ऐ चाँद सामने न आ किसी की याद आ जाती हैं।
एक उम्मीद का दिया जल रहा था,
जिसे अश्कों की बारिश ने बुझा दिया,
तनहा अकेले ख़ुशी से जी रहा था,
आज फिर आपकी याद ने रुला दिया।
बड़ी गुस्ताख है तुम्हारी याद, इसे तमीज सिखा दो,
दस्तक भी नहीं देती और दिल में उतर जाती है।
जुदा होकर भी सताने से बाज़ नहीं आते,
दूर रहकर भी वो दिल जलाने से बाज़ नहीं आते,
हम तो भूलना चाहते हैं हर एक याद उनकी,
मगर वो ख्वाबों में आने से भी बाज़ नहीं आते।
जिससे चाहा था बिखरने से बचा ले मुझको,
कर गया तेज हवाओं के हवाले मुझ को,
मैं वो बुत हूँ कि तेरी याद मुझे पूजती है,
फिर भी डर है ये कहीं तोड़ न डाले मुझको।
वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत न रही,
फिर यूँ हुआ के दर्द में शिद्दत न रही,
अपनी जिंदगी में हो गए मसरूफ वो इतना,
कि हम को याद करने की फुर्सत न रही।
हमें फुर्सत में याद करते हो तो मत करो,
मैं तन्हा हो सकता हूँ मगर फिजूल नहीं।
तुम्हारी याद के सहारे जिए जाते है,
वरना हम तो कब के मर गए होते,
जो जख्म दिल में नासूर बन गए,
जख्म वो कब के भर गए होते।
फिर उसकी याद, फिर उसकी आस, फिर उसकी बातें,
ऐ दिल लगता है तुझे तड़पने का बहुत शौक है।
कुछ और नहीं कहना, बस इतनी ही चाहत है,
तुम मुझे उतनी ही मिल जाओ, जितनी याद आती हो।
कुछ नहीं बाकी बचा है तेरे जाने के बाद,
तड़प उठता है मेरा दिल आ जाये जो तेरी याद,
मायूस हो गया हूँ मैं अपनी सूनी ज़िंदगी से,
कोई तो हो जो समझे मेरे दिल के यह जज़्बात।
हर चाँद सितारे में तेरी तस्वीर नजर आई,
फिर इस तन्हा रात में तेरी याद चली आई,
दूर तुझसे रहकर ये साँस थम चुकी थी,
जो कहीं नाम तेरा आया तो साँस लौट आई।
उसकी याद आई है साँसों जरा अहिस्ता चलो,
धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है।
कुछ दर्द कुछ नमी कुछ बातें जुदाई की,
गुजर गया ख्यालों से, तेरी याद का मौसम।
याद रखते हैं हम आज भी उन्हें पहले की तरह,
कौन कहता है फासले मोहब्बत की याद मिटा देते हैं।