ज़िक्र उनका ही आता है मेरे फ़साने में,
जिनको जान से ज्यदा चाहते थे हम किसी ज़माने में।
तन्हाई में उनकी ही याद का सहारा मिला,
जिनको नाकाम रहे हम भुलानें में।
याद कर के भूलना ही न आया हमें,
किसी के दिल को सताना ही ना आया हमें,
किसी के लिए तड़पना तो सीख लिया,
अपने लिए किसी को तड़पाना न आया हमें।
उसकी याद आई है साँसों जरा अहिस्ता चलो,
धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है।
न चाहकर भी मेरे होठो पर ये फ़िरयाद आ जाती है,
ऐ चाँद सामने न आ किसी की याद आ जाती हैं।
फिर तेरी याद, फिर तेरी तलब, फिर तेरी बातें,
ऐसे लगता है ऐ दिल मेरे तुझे सकून नहीं आता।
किसने कह दिया आपकी याद नहीं आती,
बिना याद किये कोई रात नहीं जाती,
वक्त बदल जाता है, आदत नहीं जाती,
आप खास हो ये बात कही नहीं जाती।
दो लफ्ज़ क्या लिखे तेरी याद में हमने,
लोग कहने लगे तू आशिक बहुत पुराना है।
तुम्हारी याद के सहारे जिए जाते है,
वरना हम तो कब के मर गए होते,
जो जख्म दिल में नासूर बन गए,
जख्म वो कब के भर गए होते।
फूलो की तरह हंसती रहो,
कलियोँ की तरह मुस्कुराती रहो,
खुदा से सिर्फ इतना मांगता हूँ,
कि तुम मुझे हमेशा याद आती रहो।
जुदा होकर भी सताने से बाज़ नहीं आते,
दूर रहकर भी वो दिल जलाने से बाज़ नहीं आते,
हम तो भूलना चाहते हैं हर एक याद उनकी,
मगर वो ख्वाबों में आने से भी बाज़ नहीं आते।
बन कर अजनबी मिले थे ज़िंदगी के सफ़र में,
इन यादों के लम्हों को मिटायेंगे नहीं,
अगर याद रखना फितरत है आपकी,
तो वादा है हम भी आपको भुलायेंगे नहीं।