एक सुकून की तलाश में,
जाने कितनी बेचैनियाँ पाल लीं,
और लोग कहते हैं हम बड़े हो गए,
हमने जिंदगी संभाल ली।
वो ना आए उनकी याद वफा कर गई,
उनसे मिलने की चाह सुकून तभा कर गई,
आहट दरवाजे की हुई तो उठकर देखा,
मजाक हमसे वफा कर गई।
तेरे इश्क ने दिया सुकून इतना,
कि तेरे बाद कोई अच्छा न लगे,
तुझे करने है बेवफाई तो इस अदा से कर
कि तेरे बाद कोई बेवफा न लगे।
काश एक सिरहाना ऐसा भी हो,
जहाँ मेरे गम सर रख कर सुकून से सो सके,
काश एक कमरा ऐसा भी हो,
जहाँ मेरी आँखे चीख-चीख कर रो सके।
जलजला-सा जो था कल,
वो आज सुकून-सा है,
मोहोब्बत ना छोड़ी जायेगी अब हमसे,
उसका तो अब जूनून-सा है।