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Home Sukoon Shayari Sukoon Shayari in Hindi - सुकून शायरी इन हिंदी

अपनी हार पर कितना सुकून था मुझे

अपनी हार पर कितना सुकून था मुझेअपनी हार पर कितना सुकून था मुझे,
जब उसने गले लगाया जीतने के बाद।

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दूसरों को हंसी देकर मैं भी मुस्कुराता हूँदूसरों को हंसी देकर मैं भी मुस्कुराता हूँ,
दूसरों के सुकून से मैं भी सुकून पाता हूँ।

खुद औरों को दर्द दिये फिरतें हैखुद औरों को दर्द दिये फिरतें है,
और कहतें है सुकून भरी बाँहों की तलाश है हमे।

थोड़ा सुकून भी ढुँढिए जनाबथोड़ा सुकून भी ढुँढिए जनाब,
ये जरूरते तो कभी खत्म न होगी।

चलो थोड़ा सुकून की और चला जाएचलो थोड़ा सुकून की और चला जाए,
जो दिल दुखाते हैं उनसे दूर ही रहा जाए।

ना तुम मिले ना सुकून मिलाना तुम मिले ना सुकून मिला,
तेरे बाद ना फिर प्यार का फूल खिला।

जलजला सा जो था कल वो आज सुकून सा हैजलजला-सा जो था कल,
वो आज सुकून-सा है,
मोहोब्बत ना छोड़ी जायेगी अब हमसे,
उसका तो अब जूनून-सा है।

ना शायरी में मिलेगा ना नग्मों में मिलेगाना शायरी में मिलेगा, ना नग्मों में मिलेगा,
ये सुकून बस माँ के क़दमों में मिलेगा।

खुशबू बनकर तेरी साँसों में समा जायेंगेखुशबू बनकर तेरी साँसों में समा जायेंगे,
सुकून बनकर तेरे दिल में उतर जायेंगे,
महसूस करने की कोशिश तो कीजिये,
दूर रहते हुए भी पास नज़र आएँगे.

तू मुझसे दूर है और पास भीतू मुझसे दूर है और पास भी,
तू लबों की हंसी है और आंसू भी,
तू दिल का सुकून है और बेचैनी भी,
तु मेरी अमानत है और एक सपना भी।

अपनी हार पर कितना सुकून था मुझेअपनी हार पर कितना सुकून था मुझे,
जब उसने गले लगाया जीतने के बाद।

एक महबूब लापरवाह सा एक मोहब्बत बेपनाह सीएक महबूब लापरवाह सा, एक मोहब्बत बेपनाह सी,
दोनों काफी हैं सुकून बर्बाद करने को।

जब ज़िंदगी सुकून से महरूम हो गईजब ज़िंदगी सुकून से महरूम हो गई,
उन की निगाह और भी मासूम हो गई।

जिन अँधेरी रातों में चीज़ें तक नहीं मिलतीजिन अँधेरी रातों में चीज़ें तक नहीं मिलती,
आज वही मुझे सुकून मिल रहा है।

तुझे पाया तो दिल ने सुकून पायातुझे पाया, तो दिल ने सुकून पाया,
अर्से बाद फिर कोई खुशियाँ लाया।

हमसे मत पूछना ख़्वाबों की क़ीमतहमसे मत पूछना ख़्वाबों की क़ीमत,
बहुत ख़्वाबों को पाला है हमने भी सुकून बेच कर।

जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमनेजिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।

सुकून की बात मत कर ऐ दोस्तसुकून की बात मत कर ऐ दोस्त,
बचपन वाला इतवार जाने क्यूँ अब नहीं आता।

सालो साल बातचीत से उतना सुकून नही मिलतासालो साल बातचीत से उतना सुकून नही मिलता,
जितना सिर्फ एक बार गले लग कर मिलता है।

अब बड़े हो गए तो ये जान चुके है कीअब बड़े हो गए तो ये जान चुके है की,
इंसान या तो सुकून में रह सकता है या बड़े घर में।

जहाँ भी ज़िक्र हुआ सुकून काजहाँ भी ज़िक्र हुआ सुकून का,
वहीँ तेरी बाहोँ की तलब लग जाती हैं।


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