मेरे हर एक नज़्म पर हमेशा,
तेरा ही सुरुर छाया होता है,
कैसे बात ना करू तुझ से,
आखिर ये सुकून का नशा है।
एक सुकून की तलाश में,
जाने कितनी बेचैनियाँ पाल लीं,
और लोग कहते हैं हम बड़े हो गए,
हमने जिंदगी संभाल ली।
वो ना आए उनकी याद वफा कर गई,
उनसे मिलने की चाह सुकून तभा कर गई,
आहट दरवाजे की हुई तो उठकर देखा,
मजाक हमसे वफा कर गई।
तेरे इश्क ने दिया सुकून इतना,
कि तेरे बाद कोई अच्छा न लगे,
तुझे करने है बेवफाई तो इस अदा से कर
कि तेरे बाद कोई बेवफा न लगे।
मेरी हर खता पर नाराज़ न होना,
अपनी प्यारी सी मुस्कान कभी न खोना,
सुकून मिलता है देखकर आपकी मुस्कराहट को,
मुझे मौत भी आये तो भी मत रोना।