मुझे तेरे गुस्से से डर नहीं लगता,
तेरा गुस्सा में झेल लेती हूँ,
हाँ, दिल तो दुखता है तेरे गुस्से से,
लेकिन तुझे खोने के डर से चुप रहती हूँ।
ना जाने क्यूँ नजर लगी जमाने की,
अब वजह मिलती नहीं मुस्कुराने की,
तुम्हारा गुस्सा होना तो जायज था,
हमारी आदत छूट गई मनाने की।
जब कोई गुस्से में आपके सामने बात करे,
तो उसे खामोशी के साथ गौर से सुने,
क्योकि इंसान अक्सर गुस्से में,
बहुत कड़वा बोल देता है।
कौन कहता है कलम में आग नही होती,
जरा गुस्से को कलम से उतार के तो देखो,
आग लगा देगी।
जो समस्या का हल ढूंढते है,
वो गुस्सा नही करते,
और जो गुस्सा करते है,
वो समस्या का हल नही ढूंढते।
ना जाने क्यूं नजर लगी जमाने की,
अब वजह मिलती नही मुस्कुराने की,
तुम्हारा गुस्सा होना तो जायज था,
हमारी आदत छूट गई मनाने की।
गुस्सा कर लो चाहे जितना,
पर नफरत मुझसे मत करना,
क्योंकि गुस्सा करोगे तो मनाऊंगा,
नफरत किया तो बिगड़ जाऊंगा।
इतना गुस्सा करोगे जो हमसे,
तो और दिल में बस जाऊंगा,
तुम्हारा ही हूँ मै जब चाहोगे,
तुम्हारे पास आ जाऊंगा।
ऐसा नही की मुझे गुस्सा नही आता,
बल्कि उस गुस्से से भी कही ज्यादा,
प्यार करते है तुमसे।
उनका गुस्सा और मेरा प्यार एक जैसा है,
क्यूंकि ना ही उनका गुस्सा कम होता है,
ना ही मेरा प्यार।
ऊपर से गुस्सा दिल से प्यार करते हो,
नजरे चुराते हो दिल बेकरार करते हो,
लाख छुपाओ दुनिया से मुझे खबर है,
तुम मुझे खुद से भी ज्यादा प्यार करते हो।