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2 Line Inspirational Shayari in Hindi - 2 लाइन इंस्पिरेशनल शायरी इन हिंदी

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हीरे को परखना है तो अँधेरे का इंतजार करो,
धूप में तो काँच के टुकड़े भी चमकने लगते हैं।

मत बैठ आशियाँ में परों को समेट कर,
कर हौसला खुली फिजाओं में उड़ान का।

होके मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये,
जिन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये।

होके मायूस ना आँगन से उखाड़ो ये पौधे,
धूप बरसी है यहाँ तो बारिश भी यही पे होगी।

कड़ी धूप में चलता हूँ इस यकीन के साथ,
मैं जलूँगा तो मेरे घर में उजाला होगा।

धूप बहुत काम आई कामयाबी के सफर में,
छाँव में अगर होते, तो सो गए होते।

सोचने से कहां मिलते हैं तमन्नाओं के शहर,
चलना भी जरूरी है मंजिल पाने के लिए।

जब इरादा बना लिया ऊंची उड़ान का,
फिर देखना फिजूल है कद आसमान का।

अपने हौसले बुलंद कर, मंज़िल तेरे बहुत करीब है,
बस आगे बढ़ता जा, यह मंज़िल ही तेरा नसीब है।

अभी मुठ्ठी नहीं खोली है मैंने आसमां सुन ले,
तेरा बस वक़्त आया है मेरा तो दौर आएगा।

अगर पाना है मंज़िल तो अपना रहनुमा खुद बनो,
वो अक्सर भटक जाते हैं जिन्हें सहारा मिल जाता है।

ज़िंदा रहना है तो हालात से डरना कैसा,
जंग लाज़िम हो तो लश्कर नहीं देखे जाते।

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे रास्ता हो जाएगा।

मंजिलें मिले न मिले, ये तो मुकद्दर की बात है,
हम कोशिश ही न करे ये तो गलत बात है।

न हमसफ़र न किसी हमनशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का काँटा है, हमीं से निकलेगा।

चलो चाँद का किरदार अपना लें दोस्तों,
दाग अपने पास रखें और रोशनी बाँट दे।

ज़िन्दगी की खरोचों से न घबराइये जनाब,
तराश रही है खुद ज़िन्दगी निखर जाने को।

हौसला देती रहीं मुझको मेरी बैसाखियाँ,
सर उन्हीं के दम पे सारी मंज़िलें होती रहीं।

इन्हीं जर्रों से कल होंगे नए कुछ कारवां पैदा,
जो जर्रे आज उड़ते हैं गुबार-ए-कारवां होकर।

मैं अकेला ही चला था मंज़िल की ओर मगर,
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया।

उठो तो ऐसे उठो फक्र हो बुलंदी को भी,
झुको तो ऐसे झुको बंदगी भी नाज़ करे।

हर मील के पत्थर पर लिख दो यह इबारत,
मंज़िल नहीं मिलती नाकाम इरादों से।

कहने को लफ्ज दो हैं उम्मीद और हरसत,
लेकिन निहां इसी में दुनिया की दास्तां है।

फासला नजरों का धोखा भी तो हो सकता है,
कोई मिले या ना मिले हाथ बढ़ा कर देखो।

हवाओं को पता था मैं जरा मजबूत टहनी हूँ,
यही सच आँधियों ने अब हवाओं को बताया है।

सफल होकर हमें दुनिया जानती हैं,
और असफल होकर हम दुनिया को जान जाते है।

वही सफल होता है,
जिसका काम उसे निरंतर आनंद देता है।

पंखों को खोल कि ज़माना सिर्फ उड़ान देखता है,
यूँ जमीन पर बैठकर आसमान क्या देखता है।

सोचने से कहाँ मिलते हैं तमन्नाओं के शहर,
चलना भी जरुरी है मंज़िल को पाने के लिए।

जंग में कागज़ी अफ़रात से क्या होता है,
हिम्मतें लड़ती हैं, तादाद से क्या होता है।

हजारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब,
इसी का नाम है ज़िन्दगी चलते रहिये जनाब।

अपने हौसलों पर जो ऐतबार करते हैं उन्हें,
मंज़िलें खुद पते बताती हैं रास्ते इंतज़ार करते हैं।

साहिल से तूफ़ाँ का तमाशा देखने वाले,
साहिल से अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता।

ज़िन्दगी ने सबकुछ लेकर एक यही बात सिखाई है,
खाली जेबों में अक्सर हौसले खनकते हैं।

वो लड़ेंगे क्या कि जो खुद पर फ़िदा हैं,
हम लड़ेंगे, हम ख़ुदाओं से लड़े हैं।

मेरे हाथों की लकीरों के इज़ाफ़े हैं गवाह,
मैंने पत्थर की तरह खुद को तराशा है बहुत।

लकीरें अपने हाथों की बनाना हमको आता है,
वो कोई और होंगे अपनी किस्मत पे जो रोते हैं।

चरागों तक को जहाँ मय्यसर नहीं रौशनी,
लौ उम्मीद की हमने वहाँ भी जलाये रक्खी।

सफ़र में मुश्किलें आयें तो जुर्रत और बढ़ती है,
कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है।

सोचने वालों की दुनिया,
दुनिया वालों की सोच से अलग होती है।

खुद की कमजोरी पर नही,
काबिलियत की ओर ध्यान दो।

उदासियों की वजहें तो बहुत हैं ज़िंदगी में,
बेवजह खुश रहने का मजा ही कुछ और है।

खुदा तौफीक देता है उन्हें जो यह समझते हैं,
कि खुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तकदीरें।

ज़िन्दगी जब ज़ख्म पर दे ज़ख्म तो हँसकर हमें,
आजमाइश की हदों को आजमाना चाहिए।

समुंदर में उतर लेकिन उभरने की भी सोच,
डूबने से पहले, गहराई का अंदाज़ा लगा।

कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन,
फिर इसके बाद थोड़ा सा मुक़द्दर तलाश कर।

मंज़िलों के ग़म में रोने से मंज़िलें नहीं मिलती,
हौंसले भी टूट जाते हैं अक्सर उदास रहने से।

कहती है ये दुनिया बस अब हार मान जा,
उम्मीद पुकारती है बस एक बार और सही।

अपने हाथों की लकीरों को क्या देखते हो?
किस्मत तो उनकी भी होती है, जिनके हाथ नहीं होते।

मुस्कुराते रहोगे तो दुनिया आपके क़दमों में होगी,
वरना आँसुओं को तो आँखें भी पनाह नहीं देती।




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