वक्त और किस्मत पर,
कभी घमंड मत करों,
क्योंकि सुबह उनकी भी होती है,
जिन्हें कोई याद नहीं करता है।
फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में,
फर्क होता है किस्मत और लकीर में,
अगर कुछ चाहो और न मिले तो समझ लेना,
कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में।
लेके अपनी अपनी क़िस्मत,
आए थे गुलशन में गुल,
कुछ बहारों में खिले,
कुछ ख़िज़ाँ में खो गए।
किस्मत से टकराने का,
जिंदगी में मजा है यहीं,
ये मुझे जीतने नहीं देती,
और मैं हार मानने वाला नहीं।
क़िस्मत वालों को ही मिलती,
पनाह मेरे दिल में,
यूं तो हर शख़्स को,
जन्नत का पता नहीं मिलता|
हाथों की लकीर, किस्मत और नसीब,
जवानी में ऐसी बातें लगती है अजीब,
कर्म करके तू लिख दे अपना नसीब,
दुनिया भी कहे इंसान था वो अजीब।
बिन लगाए पौधा फूल नहीं खिलता,
वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा,
किसी को कुछ नहीं मिलता।