लेके अपनी अपनी क़िस्मत,
आए थे गुलशन में गुल,
कुछ बहारों में खिले,
कुछ ख़िज़ाँ में खो गए।
तुम मिले तो यूँ लगा,
हर दुआ कबूल हो गयी,
कांच सी टूटी क़िस्मत मेरी
हीरों का नूर हो गयी।
किस्मत अपनी अपनी है,
किसको क्या सौगात मिले,
किसी को खाली सीप मिले,
किसी को मोती साथ मिले।
यूँ ही नहीं होती हाथ की,
लकीरों के आगे उंगलियाँ,
खुदा ने भी किस्मत से,
पहले मेहनत लिखी है।