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Home Kismat Shayari Kismat Shayari in Hindi - किस्मत शायरी इन हिंदी

किस्मत का रोना मैंने छोड़ दिया

किस्मत का रोना मैंने छोड़ दियाकिस्मत का रोना मैंने छोड़ दिया,
अपनी उम्मीदों को मैंने हौसलों से जोड़ दिया।

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हँस हँस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टुकडेहँस हँस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टुकडे,
हर शख्स की किस्मत में इनाम नहीं होता।


बिकने वाले और भी है जाओ जाकर खरीद लोबिकने वाले और भी है जाओ जाकर खरीद लो,
हम कीमत से नहीं किस्मत से मिला करते है।

उदास मत हो जिन्दगी ही है कट जायेगीउदास मत हो, जिन्दगी ही है, कट जायेगी,
क़िस्मत ही है, किसी दिन पलट जायेगी।

तलब ऐसी है कि साँसों में बसा लूँ तुम्हेंतलब ऐसी है कि साँसों में बसा लूँ तुम्हें,
और किस्मत ऐसी है कि देखने को मोहताज हूँ तुम्हें।

किस्मत मात्र एक छलावा है कर्म के गीत गाओकिस्मत मात्र एक छलावा है कर्म के गीत गाओ,
हो गई सुबह ख्वाब छोड़ो हकीकत से आँख मिलाओ।

जो क़िस्मत में होगा वो ख़ुद चलकर आएगाजो क़िस्मत में होगा वो ख़ुद चलकर आएगा,
जो नहीं होगा वो पास आकर भी दूर चला जाएगा।

लेके अपनी अपनी क़िस्मत आए थे गुलशन में गुललेके अपनी अपनी क़िस्मत,
आए थे गुलशन में गुल,
कुछ बहारों में खिले,
कुछ ख़िज़ाँ में खो गए।

बदलता नहीं ये किस्मत कैसी है इसकी फितरतबदलता नहीं ये किस्मत, कैसी है इसकी फितरत,
सोचता हूँ खरीद लू, पर लेता नहीं ये रिश्वत।

किसी राह पे मिल जाओ मुसाफ़िर बन केकिसी राह पे मिल जाओ मुसाफ़िर बन के,
क्या पता अपनी किस्मत में हमसफ़र भी लिखा हो।

तुम मिले तो यूँ लगा हर दुआ कबूल हो गयीतुम मिले तो यूँ लगा,
हर दुआ कबूल हो गयी,
कांच सी टूटी क़िस्मत मेरी 
हीरों का नूर हो गयी।

कुम्भकरण की तरह जब किस्मत सोती हैकुम्भकरण की तरह जब किस्मत सोती है,
तभी इंसान से जमकर मेहनत होती है।

किस्मत अपनी अपनी है किसको क्या सौगात मिलेकिस्मत अपनी अपनी है,
किसको क्या सौगात मिले,
किसी को खाली सीप मिले,
किसी को मोती साथ मिले।

यूँ ही नहीं होती हाथ की लकीरों के आगे उंगलियाँयूँ ही नहीं होती हाथ की,
लकीरों के आगे उंगलियाँ,
खुदा ने भी किस्मत से,
पहले मेहनत लिखी है।

कभी कभी किस्मत भी कमाल कर देता हैकभी कभी किस्मत भी कमाल कर देता है,
रोटी कमाने निकलों तो सिर पर ताज रख देता है।

मुक़द्दर की लिखावट का एक ऐसा भी कायदा होमुक़द्दर की लिखावट का एक ऐसा भी कायदा हो,
देर से किस्मत खुलने वालो का दुगुना फायदा हो।

इसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थीइसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थी,
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में।

मुझ में और किस्मत में हर बार बस यही जंग रहीमुझ में और किस्मत में हर बार बस यही जंग रही,
मैं उसके फैसलें से तंग और वो मेरे हौसले से दंग रही।

किस्मत की कश्ती का माँझी क्यों सो जाता हैकिस्मत की कश्ती का माँझी क्यों सो जाता है,
चाँद ढूँढते ढूँढते तारों में खो जाता है।

बेकार मत समझना दुआ की भी पड़ती है जरूरतबेकार मत समझना, दुआ की भी पड़ती है जरूरत,
कई बार सिर झुकाने से भी बदलती है किस्मत।

मंजूर है मुझे हर शर्त वो तेरीमंजूर है मुझे हर शर्त वो तेरी,
मैं किस्मत में नहीं, खुद पर यकीं रखती हूं।


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