बिन लगाए पौधा फूल नहीं खिलता,
वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा,
किसी को कुछ नहीं मिलता।
मेरी क़िस्मत की लड़ाई में खुद लड़ूंगा,
चाहें वो मिले ना मिले,
मेरी ज़िन्दगी है मैं खुद जीऊंगा।
तुम मिले तो यूँ लगा,
हर दुआ कबूल हो गयी,
कांच सी टूटी क़िस्मत मेरी
हीरों का नूर हो गयी।
क़िस्मत वालों को ही मिलती,
पनाह मेरे दिल में,
यूं तो हर शख़्स को,
जन्नत का पता नहीं मिलता|
फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में,
फर्क होता है किस्मत और लकीर में,
अगर कुछ चाहो और न मिले तो समझ लेना,
कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में।
वक्त और किस्मत पर,
कभी घमंड मत करों,
क्योंकि सुबह उनकी भी होती है,
जिन्हें कोई याद नहीं करता है।
यूँ ही नहीं होती हाथ की,
लकीरों के आगे उंगलियाँ,
खुदा ने भी किस्मत से,
पहले मेहनत लिखी है।