यूँ ही नहीं होती हाथ की,
लकीरों के आगे उंगलियाँ,
खुदा ने भी किस्मत से,
पहले मेहनत लिखी है।
क़िस्मत वालों को ही मिलती,
पनाह मेरे दिल में,
यूं तो हर शख़्स को,
जन्नत का पता नहीं मिलता|
कभी किस्मत, कभी वक़्त पर इल्ज़ा,
कभी गलती सितारों की तो कभी दूसरों की,
कितने पर्दे हाज़िर हैं यहां,
ख़ुद को छुपाने के लिए।
किस्मत से टकराने का,
जिंदगी में मजा है यहीं,
ये मुझे जीतने नहीं देती,
और मैं हार मानने वाला नहीं।
लेके अपनी अपनी क़िस्मत,
आए थे गुलशन में गुल,
कुछ बहारों में खिले,
कुछ ख़िज़ाँ में खो गए।
किस्मत अपनी अपनी है,
किसको क्या सौगात मिले,
किसी को खाली सीप मिले,
किसी को मोती साथ मिले।
जिन्दगी में चुनौतियाँ,
हर किसी के हिस्से में नहीं आती है,
क्योंकि किस्मत भी,
किस्मत वालों को ही आजमाती है।
वक्त और किस्मत पर,
कभी घमंड मत करों,
क्योंकि सुबह उनकी भी होती है,
जिन्हें कोई याद नहीं करता है।