Trending - Holi

Friday | Army | Attitude | Congratulations 🎉 | Good Morning 🌞 | Good Night 😴 | Love 💕 | Motivational 🔥 | Rain 🌧️ | Sad 😢 | Name On Cake 🎂


Home Gulzar Shayari 2 Lines Gulzar Shayari

2 Lines Gulzar Shayari in Hindi - 2 लाइन गुलज़ार शायरी इन हिंदी

Share :


कब आते हो कब जाते हो,
दिन में कितनी बार मुझको तुम याद आते हो।

आओ ज़बानें बाँट लें अब अपनी अपनी हम,
न तुम सुनोगे बात, ना हमको समझना है।

अगर आँसुओ की किम्मत होती,
तो कल रात का तकिया अरबों का होता।

कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं,
ताउम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक।

लगता है ज़िन्दगी आज खफा है,
चलिए छोड़िये, कोनसी पहली दफा है।

शोर की तो उम्र होती हैं,
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।

बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती।

काई सी जम गई है आँखों पर,
सारा मंज़र हरा सा रहता है।

उसी का ईमान बदल गया है,
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था।

तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।

फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी रिहाई दी है।

जब कभी देख लुं तुमको,
तो मुझे महसूस होता है कि दुनिया खूबसूरत है।

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।

ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं,
ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं।

मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
​बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।

कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।

खुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में,
एक पुराना खत खोला अनजाने में।

तेरा चेहरा ही लिये घूमता हूँ, शहर में तबसे,
लोग मेरा नहीं, एहवाल तेरा पूछते हैं, मुझ से।

तुम्हारा क्या, तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी,
मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है।

क़िताबें माँगने, गिरने, उठाने के बहाने जो रिश्ते बनते थे,
अब उनका क्या होगा, वो शायद अब नही होंगे।

मुझे ऐसे मरना है,
जैसे लिखते-लिखते स्याही ख़त्म हो जाए।

एक सपने के टूट कर चकनाचूर हो जाने के बाद,
दूसरे सपने देखने के हौंसले को ज़िन्दगी कहते हैं।

हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।

मैं चुप कराता हूँ हर शब उमडती बारिश को,
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है।

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है।

खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?
एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।

आइना देख कर तसल्ली हुई,
हमको इस घर में जानता है कोई।

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।

इतना क्यों सिखाई जा रही हो जिंदगी,
हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां।

ज़ुबान पर ज़ाएका आता था जो सफ़हे पलटने का,
अब उँगली ‘क्लिक’ करने से बस इक झपकी गुज़रती है।

आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं,
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ।

कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे हैं,
क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है।

जाना किसका ज़िक्र है इस अफ़साने में,
दर्द मज़े लेता है जो दुहराने में।

कभी तो चौंक कर देखे कोई हमारी तरफ,
किसी की आँख मे हमको भी इंतज़ार दिखे।

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे।

ज़िन्दगी ये तेरी खरोंचे है मुझ पर,
या तू मुझे तराशने की कोशिश में है।

कोई अटका हुआ है पल शायद,
वक़्त में पड़ गया है बल शायद।

सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।

शायर बनना बहुत आसान हैं,
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।

गए थे सोचकर की बात बचपन की होगी,
मगर दोस्त मुझे अपनी तरक्की सुनाने लगे।

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते है,
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है।

ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा,
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है।

जिस की आंखों में कटी थीं सदियां,
उस ने सदियों की जुदाई दी है।

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।

हँसता तो मैं रोज़ हूँ,
मगर खुश हुए ज़माना हो गया।

वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं।

तेरी राहों में हर बार रुक कर,
हम ने अपना ही इन्तज़ार किया।

मुस्कुराने से शुरू और रुलाने पर खत्म,
ये वो जुर्म हैं जिसे लोग मोहब्बत कहतें हैं।




Categories