प्यार की कली सबके लिए खिलती नहीं,
चाहने पर हर एक चीज मिलती नहीं,
सच्चा प्यार किस्मत से ही मिलता है,
और हर किसी को ऐसी तकदीर मिलती नहीं।
हाथों की लकीर, किस्मत और नसीब,
जवानी में ऐसी बातें लगती है अजीब,
कर्म करके तू लिख दे अपना नसीब,
दुनिया भी कहे इंसान था वो अजीब।
यूँ ही नहीं होती हाथ की,
लकीरों के आगे उंगलियाँ,
खुदा ने भी किस्मत से,
पहले मेहनत लिखी है।
क़िस्मत वालों को ही मिलती,
पनाह मेरे दिल में,
यूं तो हर शख़्स को,
जन्नत का पता नहीं मिलता|
लेके अपनी अपनी क़िस्मत,
आए थे गुलशन में गुल,
कुछ बहारों में खिले,
कुछ ख़िज़ाँ में खो गए।
कभी किस्मत, कभी वक़्त पर इल्ज़ा,
कभी गलती सितारों की तो कभी दूसरों की,
कितने पर्दे हाज़िर हैं यहां,
ख़ुद को छुपाने के लिए।
बहुत खूबसूरत है आंखे तुम्हारी,
इन्हें बना दो किस्मत हमारी,
हमें नहीं चाहिये ज़माने की खुशियाँ,
अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी।
फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में,
फर्क होता है किस्मत और लकीर में,
अगर कुछ चाहो और न मिले तो समझ लेना,
कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में।
वक्त और किस्मत पर,
कभी घमंड मत करों,
क्योंकि सुबह उनकी भी होती है,
जिन्हें कोई याद नहीं करता है।
मेरी क़िस्मत की लड़ाई में खुद लड़ूंगा,
चाहें वो मिले ना मिले,
मेरी ज़िन्दगी है मैं खुद जीऊंगा।
तुम मिले तो यूँ लगा,
हर दुआ कबूल हो गयी,
कांच सी टूटी क़िस्मत मेरी
हीरों का नूर हो गयी।