हमारे इस अकेलेपन ने हमें जीना सीखा दिया,
बची हमारी ये हसीं तो उसे हमनें पहले ही भुला दिया।
अकेलापन एक सज़ा सी है,
लेकिन इसमें जीने में भी अपना अलग ही मज़ा है।
उफ़, अकेलापन ये कितना बढ़ गया है,
सबके मोबाइल में केवल सेल्फ़ियाँ हैं।
तेरे जाने के बाद मैंने कितनों को यु आज़माया हैं,
मगर कोई भी मेरे इस अकेलेपन को दूर नहीं कर पाया हैं।
अकेलापन दिलजलों को खूब भाता है,
यादों के मारों को सुकून, तन्हाई में ही मिल पाता है।
अकेलेपन का अज़्मी हो भी तो एहसास कैसे हो,
तसलसुल से हमारी शाम-ए-तन्हाई सफ़र में है।
सूने घरों में रहने वाले कुंदनी चेहरे कहते हैं,
सारी सारी रात अकेलेपन की आग जलाती है।
अब इंतज़ार की आदत सी हो गई है,
खामोशी एक हालत सी हो गई है,
ना शिकवा ना शिकायत है किसी से,
क्यूंकी अब अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गई है।
हम अकेले नही रहते अकेलापन साथ आ जाता है,
हम रोते नही आँखो से दिल का दर्द बयान हो जाता है,
अकेला तो चाँद भी रह जाता है तारो की महफ़िल मे,
जब मानने वाला खुद ही रूठ जाता है।
क्या करेंगी इस खाली इमारत जैसे दिल का हाल जानके,
क्यूंकी अब तो इसे भी अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गई है।