तन्हाई मे अकेलापन सहा ना जाएगा,
पर महफ़िल मे अकेला रहा ना जाएगा,
उनका साथ ना हो फिर भी जिया जाएगा,
पर उनका साथ कोई और हो ये सहा ना जाएगा।
मुझे मेरा अकेलापन ही कुछ ज्यादा भाता है,
इन खोखले बनावटी रिश्तों के बीच दिल घबराता है।
हम अकेले नही रहते अकेलापन साथ आ जाता है,
हम रोते नही आँखो से दिल का दर्द बयान हो जाता है,
अकेला तो चाँद भी रह जाता है तारो की महफ़िल मे,
जब मानने वाला खुद ही रूठ जाता है।
ये अकेलापन क्या होता है,
ये उस पेड़ में बचे आखिरी पत्ते से पूछो जारा,
जिसने बस पतझड़ के आने की उम्मीद लगा रखी है।
ये अकेलापन सभी को काटता है,
पर न कोई इसको बाँटता है,
अगर जो कोई चाहे इसको बाँटना,
बुरा भला कह कर सब कोई डाँटता है।
सुन, अकेला रहना और अकेलेपन में रहना,
वैसा ही है जैसे की मुस्कुराना और गम में रहना।
अकेलापन दिलजलों को खूब भाता है,
यादों के मारों को सुकून, तन्हाई में ही मिल पाता है।
अब इंतज़ार की आदत सी हो गई है,
खामोशी एक हालत सी हो गई है,
ना शिकवा ना शिकायत है किसी से,
क्यूंकी अब अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गई है।
मैं अकेलेपन में खुद को तुमसे छिपाते जा रहे हूँ,
अपनी ही नजरों में खुद को गिराते जा रहा हूँ।
जनाब इतने मतलबी भी मत बन जाओ,
कि तुम्हें अब दूसरों का अकेलापन भी नजर ना आ पाए,
और इतना अच्छा भी मत बन जाओ,
कि तुम्हें दूसरों की बुराई भी नजर ना आ पाए।