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Home Zuban Shayari Zuban Shayari in Hindi - जुबान शायरी इन हिंदी

था जहाँ कहना वहाँ कह न पाये उम्र भर

था जहाँ कहना वहाँ कह न पाये उम्र भरथा जहाँ कहना वहाँ कह न पाये उम्र भर,
कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेजुबानी ही तो है।

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बाहर पुलिस का डंडा,घर में बीवी की जुबानबाहर पुलिस का डंडा,घर में बीवी की जुबान,
चायना वालों तुमको माफ नहीं करेगा हिंदुस्तान।

 न जान तो क़ातिल को ख़ूँ-बहा दीजिएरहे न जान तो क़ातिल को ख़ूँ-बहा दीजिए,
कटे ज़बान तो ख़ंजर को मरहबा कहिए।

बोलते रहना क्यूँकि तुम्हारी ज़बान सेबोलते रहना क्यूँकि तुम्हारी ज़बान से,
लफ़्ज़ों का ये बहता दरिया अच्छा लगता है।

जुबान खामोश आँखों में नमी होगीजुबान खामोश, आँखों में नमी होगी,
ये बस दास्ताँ ए ज़िंदगी होगी,
भरने को तो हर ज़ख्म भर जाएंगे,
कैसे भरेगी वो जगह जहाँ तेरी कमी होगी।

दर्द-ए-दिल उन के कान तक पहुँचादर्द-ए-दिल उन के कान तक पहुँचा,
बात बन कर ज़बान से निकला।

जुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँजुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँ,
कौन कब बदल गया सब हिसाब रखता हूँ।

हर इंसान अपनी जुबान के पीछे छुपा हुआ हैहर इंसान अपनी जुबान के पीछे छुपा हुआ है,
अगर उसे समझना चाहते हो तो उसको बोलने दो।

लहजे में बदजुबानी चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैंलहजे में बदजुबानी,
चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैं,
जिनके खुद के बहीखाते बिगड़े है,
वो मेरा हिसाब लिए फिरते हैं।

था जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भरथा जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भर,
कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेज़ुबानी ही तो है।

घी वफ़ा का डालिये शक्कर रहे जुबानघी वफ़ा का डालिये, शक्कर रहे जुबान,
खूब लजीज बन जायेंगे रिश्तो के पकवान।

मेरी जुबां तेरा नाम मेरे लबों पर नही आने देतीमेरी जुबां तेरा नाम मेरे लबों पर नही आने देती,
कहीं तुम बेचैन ना हो जाओ मेरी रूह तुम्हे बुलाने नही देती,
जिस दिन मेरी जुबां से तुम्हारा नाम गलती से निकल जाता है,
उस दिन मेरी नींद भी मुझे सिरहाने नहीं देती।

जिस को दुनिया ज़बान कहती है उस को जज़्बात का कफ़न कहिएजिस को दुनिया ज़बान कहती है,
उस को जज़्बात का कफ़न कहिए।

हर इक ज़बान को यारो सलाम करते चलोहर इक ज़बान को यारो सलाम करते चलो,
गिरोह की है न फ़िरक़े की और न मज़हब की।

जुबानी इबादत ही काफी नहीं खुदा सुन रहा है खयालात भीजुबानी इबादत ही काफी नहीं,
खुदा सुन रहा है खयालात भी।

लफ़्ज़ों की दहलीज पर घायल जुबान हैलफ़्ज़ों की दहलीज पर घायल जुबान है,
कोई तन्हाई से तो कोई महफ़िल से परेशान है।

जुबान पे उल्फत के अफसाने नहीं आतेजुबान पे उल्फत के अफसाने नहीं आते,
जो बीत गए फिर से वो फसाने नहीं आते,
यार ही होते हैं यारो के हमदर्द,
कोई फ़रिश्ते यहाँ साथ निभाने नहीं आते।

अगर चराग़ की लौ पर ज़बान रख देताअगर चराग़ की लौ पर ज़बान रख देता,
ज़बान जलती भी कब तक चराग़ जलने तक।

अपनी ज़ुबान से में दूसरों के ऐब बया नहीं करताअपनी ज़ुबान से में दूसरों के ऐब बया नहीं करता,
क्यूंकि ऐब मुझे में भी और जुबां औरों में भी है।

तेरी ज़ुबान ने कुछ कहा तो नहीं थातेरी ज़ुबान ने कुछ कहा तो नहीं था,
फिर ना जाने क्यों मेरी आँख नम हो गयी।

लफ्जों की दहलीज पर घायल ज़ुबान हैलफ्जों की दहलीज पर घायल ज़ुबान है,
कोई तन्हाई से, तो कोई महफ़िल से परेशान है.


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