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Home Zuban Shayari Zuban Shayari in Hindi - जुबान शायरी इन हिंदी

आजकल कहाँ जरुरत है हाथों में पत्थर उठाने की

आजकल कहाँ जरुरत है हाथों में पत्थर उठाने कीआजकल कहाँ जरुरत है हाथों में पत्थर उठाने की,
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड़ देते हैं।

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लम्बा धागा और लम्बी जुबान केवल समस्यायें ही देती हैंलम्बा धागा और लम्बी जुबान,
केवल समस्यायें ही देती हैं,
इसीलिए धागे को लपेटकर और,
जुबान को समेटकर रखना चाहिए।

जब से ये अक्ल जवान हो गयीजब से ये अक्ल जवान हो गयी,
तब से ख़ामोशी ही हमारी जुबान हो गयी।

जुबान का वजन बहुत कम होता हैजुबान का वजन बहुत कम होता है,
पर बहुत कम लोग इसे सम्हाल पाते है।

आपकी मुस्कान हमारी कमजोरी हैआपकी मुस्कान हमारी कमजोरी है,
कह ना पाना हमारी मजबूरी है,
आप क्यों नहीं समझते इस जज़्बात को,
क्या खामोशियों को ज़ुबान देना ज़रूरी है।

जुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँजुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँ,
कौन कब बदल गया सब हिसाब रखता हूँ।

जिस को दुनिया ज़बान कहती है उस को जज़्बात का कफ़न कहिएजिस को दुनिया ज़बान कहती है,
उस को जज़्बात का कफ़न कहिए।

बाहर पुलिस का डंडा,घर में बीवी की जुबानबाहर पुलिस का डंडा,घर में बीवी की जुबान,
चायना वालों तुमको माफ नहीं करेगा हिंदुस्तान।

हर इक ज़बान को यारो सलाम करते चलोहर इक ज़बान को यारो सलाम करते चलो,
गिरोह की है न फ़िरक़े की और न मज़हब की।

आजकल कहाँ जरुरत है हाथों में पत्थर उठाने कीआजकल कहाँ जरुरत है हाथों में पत्थर उठाने की,
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड़ देते हैं।

जुबान खामोश आँखों में नमी होगीजुबान खामोश, आँखों में नमी होगी,
ये बस दास्ताँ ए ज़िंदगी होगी,
भरने को तो हर ज़ख्म भर जाएंगे,
कैसे भरेगी वो जगह जहाँ तेरी कमी होगी।

लफ़्ज़ों के बोझ से थक जाती हैं ज़ुबा कभी कभीलफ़्ज़ों के बोझ से थक जाती हैं ज़ुबा कभी कभी,
पता नहीं खामोशी की वजह मज़बूर या समझदारी।

इश्क ऐसी जुबान है प्यारे जिसे गूंगा भी बोल सकता हैइश्क ऐसी जुबान है प्यारे,
जिसे गूंगा भी बोल सकता है।

मेरी जुबां तेरा नाम मेरे लबों पर नही आने देतीमेरी जुबां तेरा नाम मेरे लबों पर नही आने देती,
कहीं तुम बेचैन ना हो जाओ मेरी रूह तुम्हे बुलाने नही देती,
जिस दिन मेरी जुबां से तुम्हारा नाम गलती से निकल जाता है,
उस दिन मेरी नींद भी मुझे सिरहाने नहीं देती।

 न जान तो क़ातिल को ख़ूँ-बहा दीजिएरहे न जान तो क़ातिल को ख़ूँ-बहा दीजिए,
कटे ज़बान तो ख़ंजर को मरहबा कहिए।

मशहूर राज़-ए-इश्क़ है किस के बयान सेमशहूर राज़-ए-इश्क़ है किस के बयान से,
मेरी ज़बान से कि तुम्हारी ज़बान से।

अपनी जुबान से दूसरों के ऐब बयां करने से पहलेअपनी जुबान से दूसरों के ऐब बयां करने से पहले,
ये सोच लेना की ऐब तुम में भी है,
और जुबान दूसरों के पास भी है।

जुबान पे उल्फत के अफसाने नहीं आतेजुबान पे उल्फत के अफसाने नहीं आते,
जो बीत गए फिर से वो फसाने नहीं आते,
यार ही होते हैं यारो के हमदर्द,
कोई फ़रिश्ते यहाँ साथ निभाने नहीं आते।

तेरी ज़ुबान ने कुछ कहा तो नहीं थातेरी ज़ुबान ने कुछ कहा तो नहीं था,
फिर ना जाने क्यों मेरी आँख नम हो गयी।

कहते है हर बात जुबां से हम इशारा नहीं करतेकहते है हर बात जुबां से हम इशारा नहीं करते,
आसमान पर चलने वाले जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात को बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गंवारा नहीं करते।

अपनी ज़ुबान से में दूसरों के ऐब बया नहीं करताअपनी ज़ुबान से में दूसरों के ऐब बया नहीं करता,
क्यूंकि ऐब मुझे में भी और जुबां औरों में भी है।


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