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Home Zuban Shayari Zuban Shayari in Hindi - जुबान शायरी इन हिंदी

जुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँ

जुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँजुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँ,
कौन कब बदल गया सब हिसाब रखता हूँ।

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लोग न जाने किस तरह संभालेगें ये जिंदगी के रिश्तेलोग, न जाने किस तरह,
संभालेगें ये जिंदगी के रिश्ते,
खुद की ज़रा सी जुबान तक,
तो संभाली नहीं जाती।

कहते है हर बात जुबां से हम इशारा नहीं करतेकहते है हर बात जुबां से हम इशारा नहीं करते,
आसमान पर चलने वाले जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात को बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गंवारा नहीं करते।

अधूरी दास्तान व्यक्त करती एक किताब हूँ मैंअधूरी दास्तान व्यक्त करती एक किताब हूँ मैं,
अल्फ़ाज़ों से भरपूर मगर खामोश जुबान हूँ मैं।

था जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भरथा जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भर,
कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेज़ुबानी ही तो है।

जुबान पे उल्फत के अफसाने नहीं आतेजुबान पे उल्फत के अफसाने नहीं आते,
जो बीत गए फिर से वो फसाने नहीं आते,
यार ही होते हैं यारो के हमदर्द,
कोई फ़रिश्ते यहाँ साथ निभाने नहीं आते।

तेरी ज़ुबान ने कुछ कहा तो नहीं थातेरी ज़ुबान ने कुछ कहा तो नहीं था,
फिर ना जाने क्यों मेरी आँख नम हो गयी।

हर इंसान अपनी जुबान के पीछे छुपा हुआ हैहर इंसान अपनी जुबान के पीछे छुपा हुआ है,
अगर उसे समझना चाहते हो तो उसको बोलने दो।

लफ्जों की दहलीज पर घायल ज़ुबान हैलफ्जों की दहलीज पर घायल ज़ुबान है,
कोई तन्हाई से, तो कोई महफ़िल से परेशान है.

जरूरी नहीं कि हर बात लफ़्ज़ों की गुलाम होजरूरी नहीं कि हर बात लफ़्ज़ों की गुलाम हो,
ख़ामोशी भी खुद में इक जुबान होती है।

लम्बा धागा और लम्बी जुबान केवल समस्यायें ही देती हैंलम्बा धागा और लम्बी जुबान,
केवल समस्यायें ही देती हैं,
इसीलिए धागे को लपेटकर और,
जुबान को समेटकर रखना चाहिए।

आपकी मुस्कान हमारी कमजोरी हैआपकी मुस्कान हमारी कमजोरी है,
कह ना पाना हमारी मजबूरी है,
आप क्यों नहीं समझते इस जज़्बात को,
क्या खामोशियों को ज़ुबान देना ज़रूरी है।

आजकल कहाँ जरुरत है हाथों में पत्थर उठाने कीआजकल कहाँ जरुरत है हाथों में पत्थर उठाने की,
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड़ देते हैं।

मेरे लफ्ज़ों करम से तुम्हारा जिक्र नही जातामेरे लफ्ज़ों करम से तुम्हारा जिक्र नही जाता,
मैं कह दूँ कि बदल गया हूँ मैं,
ये झूठ जूबां से निकल कर,
दिल की दहलीज से लौट जाता।

मेरी जुबां तेरा नाम मेरे लबों पर नही आने देतीमेरी जुबां तेरा नाम मेरे लबों पर नही आने देती,
कहीं तुम बेचैन ना हो जाओ मेरी रूह तुम्हे बुलाने नही देती,
जिस दिन मेरी जुबां से तुम्हारा नाम गलती से निकल जाता है,
उस दिन मेरी नींद भी मुझे सिरहाने नहीं देती।

सब्र तहजीब है मोहब्बत की तुम समझते हो बेजुबान हूँ मैंसब्र, तहजीब है मोहब्बत की,
तुम समझते हो बेजुबान हूँ मैं।

था जहाँ कहना वहाँ कह न पाये उम्र भरथा जहाँ कहना वहाँ कह न पाये उम्र भर,
कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेजुबानी ही तो है।

बाहर पुलिस का डंडा,घर में बीवी की जुबानबाहर पुलिस का डंडा,घर में बीवी की जुबान,
चायना वालों तुमको माफ नहीं करेगा हिंदुस्तान।

बोलते रहना क्यूँकि तुम्हारी ज़बान सेबोलते रहना क्यूँकि तुम्हारी ज़बान से,
लफ़्ज़ों का ये बहता दरिया अच्छा लगता है।

अकेले में अपने विचारो पर नियंत्रण रखिएअकेले में अपने विचारो पर नियंत्रण रखिए,
और लोगों के बीच अपने जुबां पर।

तल्ख़ कर दी है ज़िंदगी जिस ने कितनी मीठी ज़बान है प्यारेतल्ख़ कर दी है ज़िंदगी जिस ने,
कितनी मीठी ज़बान है प्यारे।


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