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Home Zuban Shayari Zuban Shayari in Hindi - जुबान शायरी इन हिंदी

जुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँ

जुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँजुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँ,
कौन कब बदल गया सब हिसाब रखता हूँ।

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अपनी ज़ुबान से में दूसरों के ऐब बया नहीं करताअपनी ज़ुबान से में दूसरों के ऐब बया नहीं करता,
क्यूंकि ऐब मुझे में भी और जुबां औरों में भी है।

जब से ये अक्ल जवान हो गयीजब से ये अक्ल जवान हो गयी,
तब से ख़ामोशी ही हमारी जुबान हो गयी।

आजकल कहाँ जरुरत है हाथों में पत्थर उठाने कीआजकल कहाँ जरुरत है हाथों में पत्थर उठाने की,
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड़ देते हैं।

लफ्जों की दहलीज पर घायल ज़ुबान हैलफ्जों की दहलीज पर घायल ज़ुबान है,
कोई तन्हाई से, तो कोई महफ़िल से परेशान है.

मशहूर राज़-ए-इश्क़ है किस के बयान सेमशहूर राज़-ए-इश्क़ है किस के बयान से,
मेरी ज़बान से कि तुम्हारी ज़बान से।

लम्बा धागा और लम्बी जुबान केवल समस्यायें ही देती हैंलम्बा धागा और लम्बी जुबान,
केवल समस्यायें ही देती हैं,
इसीलिए धागे को लपेटकर और,
जुबान को समेटकर रखना चाहिए।

जिस को दुनिया ज़बान कहती है उस को जज़्बात का कफ़न कहिएजिस को दुनिया ज़बान कहती है,
उस को जज़्बात का कफ़न कहिए।

तेरी ज़ुबान ने कुछ कहा तो नहीं थातेरी ज़ुबान ने कुछ कहा तो नहीं था,
फिर ना जाने क्यों मेरी आँख नम हो गयी।

जुबान का वजन बहुत कम होता हैजुबान का वजन बहुत कम होता है,
पर बहुत कम लोग इसे सम्हाल पाते है।

था जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भरथा जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भर,
कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेज़ुबानी ही तो है।

लहजे में बदजुबानी चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैंलहजे में बदजुबानी,
चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैं,
जिनके खुद के बहीखाते बिगड़े है,
वो मेरा हिसाब लिए फिरते हैं।

सब्र तहजीब है मोहब्बत की तुम समझते हो बेजुबान हूँ मैंसब्र, तहजीब है मोहब्बत की,
तुम समझते हो बेजुबान हूँ मैं।

आपकी मुस्कान हमारी कमजोरी हैआपकी मुस्कान हमारी कमजोरी है,
कह ना पाना हमारी मजबूरी है,
आप क्यों नहीं समझते इस जज़्बात को,
क्या खामोशियों को ज़ुबान देना ज़रूरी है।

इंसान एक दुकान है और जुबान उसका तालाइंसान एक दुकान है,
और जुबान उसका ताला,
ताला खुलता है तभी मालूम होता है कि,
दुकान सोने की है या कोयले की।

अपनी जुबान से दूसरों के ऐब बयां करने से पहलेअपनी जुबान से दूसरों के ऐब बयां करने से पहले,
ये सोच लेना की ऐब तुम में भी है,
और जुबान दूसरों के पास भी है।

मेरी जुबां तेरा नाम मेरे लबों पर नही आने देतीमेरी जुबां तेरा नाम मेरे लबों पर नही आने देती,
कहीं तुम बेचैन ना हो जाओ मेरी रूह तुम्हे बुलाने नही देती,
जिस दिन मेरी जुबां से तुम्हारा नाम गलती से निकल जाता है,
उस दिन मेरी नींद भी मुझे सिरहाने नहीं देती।

कहते है हर बात जुबां से हम इशारा नहीं करतेकहते है हर बात जुबां से हम इशारा नहीं करते,
आसमान पर चलने वाले जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात को बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गंवारा नहीं करते।

हर इंसान अपनी जुबान के पीछे छुपा हुआ हैहर इंसान अपनी जुबान के पीछे छुपा हुआ है,
अगर उसे समझना चाहते हो तो उसको बोलने दो।

जरूरी नहीं कि हर बात लफ़्ज़ों की गुलाम होजरूरी नहीं कि हर बात लफ़्ज़ों की गुलाम हो,
ख़ामोशी भी खुद में इक जुबान होती है।

लोग न जाने किस तरह संभालेगें ये जिंदगी के रिश्तेलोग, न जाने किस तरह,
संभालेगें ये जिंदगी के रिश्ते,
खुद की ज़रा सी जुबान तक,
तो संभाली नहीं जाती।


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