Trending - Holi

Sunday | Army | Attitude | Congratulations 🎉 | Good Morning 🌞 | Good Night 😴 | Love 💕 | Motivational 🔥 | Rain 🌧️ | Sad 😢 | Name On Cake 🎂


Home Zuban Shayari Zuban Shayari in Hindi - जुबान शायरी इन हिंदी

नाम उसका ज़ुबान पर आते आते रुक जाता है

नाम उसका ज़ुबान पर आते आते रुक जाता हैनाम उसका ज़ुबान पर आते आते रुक जाता है,
जब कोई मुझसे मेरी आखिरी ख्वाहिश पूछता है।

See More From: Zuban Shayari
लफ़्ज़ों के बोझ से थक जाती हैं ज़ुबा कभी कभीलफ़्ज़ों के बोझ से थक जाती हैं ज़ुबा कभी कभी,
पता नहीं खामोशी की वजह मज़बूर या समझदारी।

जुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँजुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँ,
कौन कब बदल गया सब हिसाब रखता हूँ।

दिल पे ताला, ज़बान पर पहरा,
यानी अब अर्ज़-ए-हाल से भी गए।

 न जान तो क़ातिल को ख़ूँ-बहा दीजिएरहे न जान तो क़ातिल को ख़ूँ-बहा दीजिए,
कटे ज़बान तो ख़ंजर को मरहबा कहिए।

जिस को दुनिया ज़बान कहती है उस को जज़्बात का कफ़न कहिएजिस को दुनिया ज़बान कहती है,
उस को जज़्बात का कफ़न कहिए।

लहजे में बदजुबानी चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैंलहजे में बदजुबानी,
चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैं,
जिनके खुद के बहीखाते बिगड़े है,
वो मेरा हिसाब लिए फिरते हैं।

मेरी जुबां तेरा नाम मेरे लबों पर नही आने देतीमेरी जुबां तेरा नाम मेरे लबों पर नही आने देती,
कहीं तुम बेचैन ना हो जाओ मेरी रूह तुम्हे बुलाने नही देती,
जिस दिन मेरी जुबां से तुम्हारा नाम गलती से निकल जाता है,
उस दिन मेरी नींद भी मुझे सिरहाने नहीं देती।

जब से ये अक्ल जवान हो गयीजब से ये अक्ल जवान हो गयी,
तब से ख़ामोशी ही हमारी जुबान हो गयी।

बेहतरीन इंसान अपनी मीठी जुबान से ही जाना जाता हैबेहतरीन इंसान अपनी मीठी जुबान से ही जाना जाता है,
वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती है।

था जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भरथा जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भर,
कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेज़ुबानी ही तो है।

घी वफ़ा का डालिये शक्कर रहे जुबानघी वफ़ा का डालिये, शक्कर रहे जुबान,
खूब लजीज बन जायेंगे रिश्तो के पकवान।

आंसू मेरे देखकर तू परेशान क्यों है ऐ दोस्तआंसू मेरे देखकर तू परेशान क्यों है ऐ दोस्त,
ये वो अल्फाज हैं जो जुबान तक आ न सके।

अगर चराग़ की लौ पर ज़बान रख देताअगर चराग़ की लौ पर ज़बान रख देता,
ज़बान जलती भी कब तक चराग़ जलने तक।

मशहूर राज़-ए-इश्क़ है किस के बयान सेमशहूर राज़-ए-इश्क़ है किस के बयान से,
मेरी ज़बान से कि तुम्हारी ज़बान से।

इंसान एक दुकान है और जुबान उसका तालाइंसान एक दुकान है,
और जुबान उसका ताला,
ताला खुलता है तभी मालूम होता है कि,
दुकान सोने की है या कोयले की।

इश्क ऐसी जुबान है प्यारे जिसे गूंगा भी बोल सकता हैइश्क ऐसी जुबान है प्यारे,
जिसे गूंगा भी बोल सकता है।

जुबान पे उल्फत के अफसाने नहीं आतेजुबान पे उल्फत के अफसाने नहीं आते,
जो बीत गए फिर से वो फसाने नहीं आते,
यार ही होते हैं यारो के हमदर्द,
कोई फ़रिश्ते यहाँ साथ निभाने नहीं आते।

जरूरी नहीं कि हर बात लफ़्ज़ों की गुलाम होजरूरी नहीं कि हर बात लफ़्ज़ों की गुलाम हो,
ख़ामोशी भी खुद में इक जुबान होती है।

बोलते रहना क्यूँकि तुम्हारी ज़बान सेबोलते रहना क्यूँकि तुम्हारी ज़बान से,
लफ़्ज़ों का ये बहता दरिया अच्छा लगता है।

ए मेरी कलम इतना सा अहसान कर देए मेरी कलम इतना सा अहसान कर दे,
कह ना पाई जो जुबान वो बयान कर दे।


Categories