ये अकेलापन मुझे भाने लगा अब,
करीब जाना मुझे चौकाने लगा अब।
अकेलापन दिलजलों को खूब भाता है,
यादों के मारों को सुकून, तन्हाई में ही मिल पाता है।
क्या करेंगी इस खाली इमारत जैसे दिल का हाल जानके,
क्यूंकी अब तो इसे भी अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गई है।
मेरा अकेलापन ही मेरा साथी हैं,
मुझे किसी और की ज़रूरत नहीं,
क्या करे किसी से रिश्ता जोड़ कर,
जब की मुझे जिंदगी में और दर्द की ज़रूरत नहीं।
आज जो इस अकेलेपन का एहसास हुआ खुद को,
तो समहाल नहीं पाया अपने इन आसुओं को।
वो तुम्हारे नज़रिए से अकेलापन हो सकता है,
पर मेरे नज़रिए से देखो वो मेरा सुकून है।
अकेलापन अब हमे सताता है,
दिन मे सपने ओर रातो को जागता है।
इस चार दिन की जिंदगी में,
हम अकेले रह गए,
मौत का इंतजार करते करते,
अकेलेपन से मोहब्बत कर गए।
हम अकेले नही रहते अकेलापन साथ आ जाता है,
हम रोते नही आँखो से दिल का दर्द बयान हो जाता है,
अकेला तो चाँद भी रह जाता है तारो की महफ़िल मे,
जब मानने वाला खुद ही रूठ जाता है।
अकेलापन क्या होता है कोई ताजमहल से पूछे,
देखने के लिए पूरी दुनिया आती है लेकिन रहता कोई नही।