हँसता हूँ बस औरों को हंसाने के लिए,
और अब हँसी आती भी है तो,
सिर्फ गमों को छुपाने के लिए।
राज-ए-हँसी का गर में तुम्हे बताऊँगा,
सोचता हूँ शायद में,
तेरे दर्द भरे जख्मो को और दबाऊंगा।
मेरी हंसी में भी कई गम छिपे है,
डरता हूँ बताने से,
कही सबका प्यार से भरोसा न उठ जाये।
हंसते और हंसाते जाओ,
प्यार के लम्हे सजाते जाओ,
गीत कैसा भी क्यों न हो,
खुलकर गुनगुनाते जाओ।
अजीब दुनिया है,
खुद को हंसी आती नहीं,
औरों की हँसी भाती नहीं।
होंठों पे आज हंसी खिल आई है,
प्यार की कीमत अब समझ में आई है,
जमाने वाले भी ना कर पाएंगे अलग,
अगर रब ने हमारी जोड़ी बनाई है।
मेरी हँसी पर मत जा,
न जाने इसने मेरे कितने ही गमों को,
अपने अंदर छिपा कर रखा है।
गम भरे जहर के पलों को भी,
हम सुकून से पिया करते है,
उनके होठों की हँसी देख कर ही हम,
जिंदगी को जिया करते है।