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Home Barsaat Shayari Barsaat Shayari 2 Lines in Hindi - बरसात शायरी 2 लाइन इन हिंदी

मेरी महफ़िल में नज़्म की इरशाद अभी बाकी है

मेरी महफ़िल में नज़्म की इरशाद अभी बाकी हैमेरी महफ़िल में नज़्म की इरशाद अभी बाकी है, 
कोई थोड़ा भीगा है, पूरी बरसात अभी बाकी है।

होंठो पे हंसी तो हो मगर आँखों में बरसात ना आयेहोंठो पे हंसी तो हो मगर,
आँखों में बरसात ना आये।

बहुत प्रेम भरा है इन कच्चे मकानों के दिलों मेबहुत प्रेम भरा है, इन कच्चे मकानों के दिलों मे,
बरसात के पानी को भी अपने अन्दर जगह दे देते हैं।

एक रोने से तू मिल जाए तो खुदा की कसमएक रोने से तू मिल जाए तो खुदा की कसम,
इस धरती पे सावन की बरसात लगा दूं।

आ गयी थी एक दिन तन्हाए भी जज़्बात मेंआ गयी थी एक दिन तन्हाए भी जज़्बात में,
आँख से भी कुछ बूँदें गिर पड़ी बरसात में।

कल रोशनी की बरसात थी आज फिर अँधेरी रातकल रोशनी की बरसात थी, आज फिर अँधेरी रात,
बुझते हुए दीयों ने हम को भी बुझा दिया।

झिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गईझिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गई,
जगमगाती हुई बरसात ने दम तोड़ दिया।

टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख करटूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर,
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए।

तू भेज रंग अपनी मुहोबत के वहां सेतू भेज रंग अपनी मुहोबत के वहां से,
हम भीगेगें उस बरसात में यहाँ से।

अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता हैअब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाईयों की।

ख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है उम्र का पानीख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है उम्र का पानी,
वक़्त की बरसात है कि थमने का नाम नहीं ले रही।

मेरे हिस्से की जमीं बंजर थी मै वाकीफ न थामेरे हिस्से की जमीं बंजर थी, मै वाकीफ न था,
बेसबब इल्जाम मै देता रहा बरसात को।

हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराबहम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब,
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया।

अब कौन से मौसम से कोई आस लगायेअब कौन से मौसम से कोई आस लगाये,
बरसात में भी याद ना जब उन को हम आए।

बारिश की बूंदों से दिल पे दस्तक होती थीबारिश की बूंदों से दिल पे दस्तक होती थी,
सब मौसम बरसात थे मेरे और दिसम्बर था।

बरसात की एक शाम अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरीबरसात की एक शाम, अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरी,
तू आये तो साथ आफ़ताब ले आना।

रोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीननरोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीनन,
वर्ना रुख़सत-ए- फ़रवरी में यहाँ बरसात नहीं होती।

गुल तेरा रंग चुरा लाए हैं गुलज़ारों मेंगुल तेरा रंग चुरा लाए हैं गुलज़ारों में,
जल रहा हूँ भरी बरसात की बौछारो में।

हमारे शहर आ जाओ सदा बरसात रहती हैहमारे शहर आ जाओ, सदा बरसात रहती है,
कभी बादल बरसते हैं, कभी आँखें बरसती हैं।

भीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात मेंभीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात में,
फिर कमज़ोर से इस दिल को इश्क का बुखार पक्का है।

पहली बरसात से धरती को जो सुकून मिलतापहली बरसात से धरती को जो सुकून मिलता,
मेरे लिए वो सुकून हो तुम।


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