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Home Barsaat Shayari Barsaat Shayari 2 Lines in Hindi - बरसात शायरी 2 लाइन इन हिंदी

तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बाद

तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बादतेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बाद,
क्योंकि, किचड़ हो गया है, बरसात के बाद।

अब्र आँखों से उठे हैं तेरा दामन मिल जाएअब्र आँखों से उठे हैं तेरा दामन मिल जाए,
हुक्म हो तेरा तो बरसात मुकम्मल हो जाए।

बता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादेंबता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है और भीतर भी है।

मेरी महफ़िल में नज़्म की इरशाद अभी बाकी हैमेरी महफ़िल में नज़्म की इरशाद अभी बाकी है, 
कोई थोड़ा भीगा है, पूरी बरसात अभी बाकी है।

पहले रिम-झिम फिर बरसात और अचानक कडी धूपपहले रिम-झिम फिर बरसात और अचानक कडी धूप,
मोहब्बत ओर अगस्त की फितरत एक सी है।

बे मौसम बरसात से अंदाज़ा लगता हूँ मैंबे मौसम बरसात से अंदाज़ा लगता हूँ मैं,
फिर किसी मासूम का दिल टुटा है मौसम-ए-बहार में।

कल रोशनी की बरसात थी आज फिर अँधेरी रातकल रोशनी की बरसात थी, आज फिर अँधेरी रात,
बुझते हुए दीयों ने हम को भी बुझा दिया।

आजकल मेरे शहर में बरसात बहुत हैंआजकल मेरे शहर में बरसात बहुत हैं,
किसी को मेरा रोना मालूम नहीं पड़ता।

मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँमैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ,
ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं।

रोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीननरोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीनन,
वर्ना रुख़सत-ए- फ़रवरी में यहाँ बरसात नहीं होती।

अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता हैअब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाईयों की।

तू भेज रंग अपनी मुहोबत के वहां सेतू भेज रंग अपनी मुहोबत के वहां से,
हम भीगेगें उस बरसात में यहाँ से।

मेरे हिस्से की जमीं बंजर थी मै वाकीफ न थामेरे हिस्से की जमीं बंजर थी, मै वाकीफ न था,
बेसबब इल्जाम मै देता रहा बरसात को।

अब कौन से मौसम से कोई आस लगायेअब कौन से मौसम से कोई आस लगाये,
बरसात में भी याद ना जब उन को हम आए।

आ गयी थी एक दिन तन्हाए भी जज़्बात मेंआ गयी थी एक दिन तन्हाए भी जज़्बात में,
आँख से भी कुछ बूँदें गिर पड़ी बरसात में।

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जानेबरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने,
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है।

किस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैंकिस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं,
सावन आया लेकिन अपनी क़िस्मत में बरसात नहीं।

मुझे मालूम है तुमने बहुत बरसातें देखी हैंमुझे मालूम है तुमने बहुत बरसातें देखी हैं,
मगर इन्ही आँखों से सावन हार जाता है।

बरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गएबरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गए,
अक्स आसमान पर जो पड़ा, अब्र छा गए।

स्याही का सा एक दाग है दिल मेंस्याही का सा एक दाग है दिल में,
जो धुलता नहीं अश्कों की बरसात में भी।

सदाओं को अल्फाज़ मिलने न पाएँसदाओं को अल्फाज़ मिलने न पाएँ,
न बादल घिरेंगे, न बरसात होगी।


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