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Home Barsaat Shayari Barsaat Shayari 2 Lines in Hindi - बरसात शायरी 2 लाइन इन हिंदी

बरसात की एक शाम अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरी

बरसात की एक शाम अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरीबरसात की एक शाम, अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरी,
तू आये तो साथ आफ़ताब ले आना।

अब कौन से मौसम से कोई आस लगायेअब कौन से मौसम से कोई आस लगाये,
बरसात में भी याद ना जब उन को हम आए।

मेरे जीवन में कुछ यूँ उसका आना हुआ जैसेमेरे जीवन में कुछ यूँ उसका आना हुआ जैसे,
बरसात के बाद आसमान में इंद्रधनुष हो।

बारिश की बूंदों से दिल पे दस्तक होती थीबारिश की बूंदों से दिल पे दस्तक होती थी,
सब मौसम बरसात थे मेरे और दिसम्बर था।

स्याही का सा एक दाग है दिल मेंस्याही का सा एक दाग है दिल में,
जो धुलता नहीं अश्कों की बरसात में भी।

एक वो है जो देखकर भी नहीं जान पातेएक वो है जो देखकर भी नहीं जान पाते,
और हमें बरसात में भी उसके आँसू दिख जाते।

किस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैंकिस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं,
सावन आया लेकिन अपनी क़िस्मत में बरसात नहीं।

होंठो पे हंसी तो हो मगर आँखों में बरसात ना आयेहोंठो पे हंसी तो हो मगर,
आँखों में बरसात ना आये।

मिलकर भी उनसे हसरत-ए-मुलाकत रह गईमिलकर भी उनसे हसरत-ए-मुलाकत रह गई,
बादल तो घर आये थे, बस बरसात रह गई।

गर मेरी चाहतों के मुताबिक जमाने में हर बात होतीगर मेरी चाहतों के मुताबिक, जमाने में हर बात होती,
तो बस मैं होता वो होती, और सारी रात बरसात होती।

भीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात मेंभीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात में,
फिर कमज़ोर से इस दिल को इश्क का बुखार पक्का है।

पहले रिम-झिम फिर बरसात और अचानक कडी धूपपहले रिम-झिम फिर बरसात और अचानक कडी धूप,
मोहब्बत ओर अगस्त की फितरत एक सी है।

ज़ब्त ए घर ये कभी करता हों तो फरमाते हैंज़ब्त ए घर ये कभी करता हों तो फरमाते हैं,
आज क्या बात है बरसात नहीं होती है।

मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँमैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ,
ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं।

बहुत प्रेम भरा है इन कच्चे मकानों के दिलों मेबहुत प्रेम भरा है, इन कच्चे मकानों के दिलों मे,
बरसात के पानी को भी अपने अन्दर जगह दे देते हैं।

चीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसातचीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसात,
कटकर भी मरते नहीं, पेड़ों में दिन-रात।

आ गयी थी एक दिन तन्हाए भी जज़्बात मेंआ गयी थी एक दिन तन्हाए भी जज़्बात में,
आँख से भी कुछ बूँदें गिर पड़ी बरसात में।

एक रोने से तू मिल जाए तो खुदा की कसमएक रोने से तू मिल जाए तो खुदा की कसम,
इस धरती पे सावन की बरसात लगा दूं।

झिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गईझिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गई,
जगमगाती हुई बरसात ने दम तोड़ दिया।

टपक पड़ते है आँसू जब किसी की याद आती हैटपक पड़ते है आँसू जब किसी की याद आती है,
ये वो बरसात है जिसका कोई मौसम नही होता।

ख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है उम्र का पानीख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है उम्र का पानी,
वक़्त की बरसात है कि थमने का नाम नहीं ले रही।


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