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Home Barsaat Shayari Barsaat Shayari 2 Lines in Hindi - बरसात शायरी 2 लाइन इन हिंदी

पहली बरसात से धरती को जो सुकून मिलता

पहली बरसात से धरती को जो सुकून मिलतापहली बरसात से धरती को जो सुकून मिलता,
मेरे लिए वो सुकून हो तुम।

एक वो है जो देखकर भी नहीं जान पातेएक वो है जो देखकर भी नहीं जान पाते,
और हमें बरसात में भी उसके आँसू दिख जाते।

भीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात मेंभीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात में,
फिर कमज़ोर से इस दिल को इश्क का बुखार पक्का है।

मिलकर भी उनसे हसरत-ए-मुलाकत रह गईमिलकर भी उनसे हसरत-ए-मुलाकत रह गई,
बादल तो घर आये थे, बस बरसात रह गई।

ख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है उम्र का पानीख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है उम्र का पानी,
वक़्त की बरसात है कि थमने का नाम नहीं ले रही।

माँ के अहसान की तादाद अगर कोई पूछे तोमाँ के अहसान की तादाद अगर कोई पूछे तो,
उस से कह दो कि बरसात की बूंदे गिन ले।

स्याही का सा एक दाग है दिल मेंस्याही का सा एक दाग है दिल में,
जो धुलता नहीं अश्कों की बरसात में भी।

होंठो पे हंसी तो हो मगर आँखों में बरसात ना आयेहोंठो पे हंसी तो हो मगर,
आँखों में बरसात ना आये।

ज़ब्त ए घर ये कभी करता हों तो फरमाते हैंज़ब्त ए घर ये कभी करता हों तो फरमाते हैं,
आज क्या बात है बरसात नहीं होती है।

झिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गईझिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गई,
जगमगाती हुई बरसात ने दम तोड़ दिया।

रोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीननरोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीनन,
वर्ना रुख़सत-ए- फ़रवरी में यहाँ बरसात नहीं होती।

किस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैंकिस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं,
सावन आया लेकिन अपनी क़िस्मत में बरसात नहीं।

अश्रु से मधुकण लुटाता आ यहाँ मधुमासअश्रु से मधुकण लुटाता आ यहाँ मधुमास, अश्रु ही की हाट बन आती करुण बरसात।

टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख करटूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर,
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए।

मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँमैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ,
ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं।

मेरे हिस्से की जमीं बंजर थी मै वाकीफ न थामेरे हिस्से की जमीं बंजर थी, मै वाकीफ न था,
बेसबब इल्जाम मै देता रहा बरसात को।

बरसात की एक शाम अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरीबरसात की एक शाम, अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरी,
तू आये तो साथ आफ़ताब ले आना।

वो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम मेंवो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम में,
मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा।

बहुत प्रेम भरा है इन कच्चे मकानों के दिलों मेबहुत प्रेम भरा है, इन कच्चे मकानों के दिलों मे,
बरसात के पानी को भी अपने अन्दर जगह दे देते हैं।

बरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गएबरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गए,
अक्स आसमान पर जो पड़ा, अब्र छा गए।

अब्र आँखों से उठे हैं तेरा दामन मिल जाएअब्र आँखों से उठे हैं तेरा दामन मिल जाए,
हुक्म हो तेरा तो बरसात मुकम्मल हो जाए।


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