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Home Barsaat Shayari Barsaat Shayari 2 Lines in Hindi - बरसात शायरी 2 लाइन इन हिंदी

बद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूँ

बद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूँबद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूँ,
लेकिन मैंने बरसात में जलते हुए घर देखे है।

अश्रु से मधुकण लुटाता आ यहाँ मधुमासअश्रु से मधुकण लुटाता आ यहाँ मधुमास, अश्रु ही की हाट बन आती करुण बरसात।

बरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गएबरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गए,
अक्स आसमान पर जो पड़ा, अब्र छा गए।

बद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूँबद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूँ,
लेकिन मैंने बरसात में जलते हुए घर देखे है।

स्याही का सा एक दाग है दिल मेंस्याही का सा एक दाग है दिल में,
जो धुलता नहीं अश्कों की बरसात में भी।

मै आज भी अपने मुकद्दर से शर्त लगाता हूँमै आज भी अपने मुकद्दर से शर्त लगाता हूँ,
भरी बरसात में कागज की पतंग उड़ाता हूँ।

मिलकर भी उनसे हसरत-ए-मुलाकत रह गईमिलकर भी उनसे हसरत-ए-मुलाकत रह गई,
बादल तो घर आये थे, बस बरसात रह गई।

सदाओं को अल्फाज़ मिलने न पाएँसदाओं को अल्फाज़ मिलने न पाएँ,
न बादल घिरेंगे, न बरसात होगी।

मेरी महफ़िल में नज़्म की इरशाद अभी बाकी हैमेरी महफ़िल में नज़्म की इरशाद अभी बाकी है, 
कोई थोड़ा भीगा है, पूरी बरसात अभी बाकी है।

मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँमैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ,
ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं।

अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता हैअब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाईयों की।

हमारे शहर आ जाओ सदा बरसात रहती हैहमारे शहर आ जाओ, सदा बरसात रहती है,
कभी बादल बरसते हैं, कभी आँखें बरसती हैं।

एक वो है जो देखकर भी नहीं जान पातेएक वो है जो देखकर भी नहीं जान पाते,
और हमें बरसात में भी उसके आँसू दिख जाते।

गुल तेरा रंग चुरा लाए हैं गुलज़ारों मेंगुल तेरा रंग चुरा लाए हैं गुलज़ारों में,
जल रहा हूँ भरी बरसात की बौछारो में।

बता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादेंबता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है और भीतर भी है।

बचपन की जवानी भीग गई बरसात मेंबचपन की जवानी भीग गई बरसात में,
करोना हो जाएगा चलते हैं घर में।

भीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात मेंभीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात में,
फिर कमज़ोर से इस दिल को इश्क का बुखार पक्का है।

संभला ही था दिल तेरी यादों के समंदर सेसंभला ही था दिल तेरी यादों के समंदर से,
कि अचानक फ़िर से बरसात हो गई।

रोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीननरोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीनन,
वर्ना रुख़सत-ए- फ़रवरी में यहाँ बरसात नहीं होती।

झिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गईझिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गई,
जगमगाती हुई बरसात ने दम तोड़ दिया।

चीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसातचीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसात,
कटकर भी मरते नहीं, पेड़ों में दिन-रात।


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