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Home Barsaat Shayari Barsaat Shayari 2 Lines in Hindi - बरसात शायरी 2 लाइन इन हिंदी

वो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम में

वो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम मेंवो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम में,
मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा।

चीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसातचीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसात,
कटकर भी मरते नहीं, पेड़ों में दिन-रात।

किस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैंकिस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं,
सावन आया लेकिन अपनी क़िस्मत में बरसात नहीं।

गुल तेरा रंग चुरा लाए हैं गुलज़ारों मेंगुल तेरा रंग चुरा लाए हैं गुलज़ारों में,
जल रहा हूँ भरी बरसात की बौछारो में।

हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराबहम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब,
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया।

तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बादतेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बाद,
क्योंकि, किचड़ हो गया है, बरसात के बाद।

पहली बरसात से धरती को जो सुकून मिलतापहली बरसात से धरती को जो सुकून मिलता,
मेरे लिए वो सुकून हो तुम।

मिलकर भी उनसे हसरत-ए-मुलाकत रह गईमिलकर भी उनसे हसरत-ए-मुलाकत रह गई,
बादल तो घर आये थे, बस बरसात रह गई।

अब्र आँखों से उठे हैं तेरा दामन मिल जाएअब्र आँखों से उठे हैं तेरा दामन मिल जाए,
हुक्म हो तेरा तो बरसात मुकम्मल हो जाए।

अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता हैअब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाईयों की।

रोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीननरोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीनन,
वर्ना रुख़सत-ए- फ़रवरी में यहाँ बरसात नहीं होती।

होंठो पे हंसी तो हो मगर आँखों में बरसात ना आयेहोंठो पे हंसी तो हो मगर,
आँखों में बरसात ना आये।

धुप सा रंग है और खुद है वो छाँवो जैसाधुप सा रंग है और खुद है वो छाँवो जैसा,
उसकी पायल में बरसात का मौसम छनके।

भीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात मेंभीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात में,
फिर कमज़ोर से इस दिल को इश्क का बुखार पक्का है।

हमारे शहर आ जाओ सदा बरसात रहती हैहमारे शहर आ जाओ, सदा बरसात रहती है,
कभी बादल बरसते हैं, कभी आँखें बरसती हैं।

आजकल मेरे शहर में बरसात बहुत हैंआजकल मेरे शहर में बरसात बहुत हैं,
किसी को मेरा रोना मालूम नहीं पड़ता।

बरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गएबरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गए,
अक्स आसमान पर जो पड़ा, अब्र छा गए।

बता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादेंबता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है और भीतर भी है।

आ गयी थी एक दिन तन्हाए भी जज़्बात मेंआ गयी थी एक दिन तन्हाए भी जज़्बात में,
आँख से भी कुछ बूँदें गिर पड़ी बरसात में।

मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँमैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ,
ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं।

पहले रिम-झिम फिर बरसात और अचानक कडी धूपपहले रिम-झिम फिर बरसात और अचानक कडी धूप,
मोहब्बत ओर अगस्त की फितरत एक सी है।


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