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Home Barsaat Shayari Barsaat Shayari 2 Lines in Hindi - बरसात शायरी 2 लाइन इन हिंदी

एक वो है जो देखकर भी नहीं जान पाते

एक वो है जो देखकर भी नहीं जान पातेएक वो है जो देखकर भी नहीं जान पाते,
और हमें बरसात में भी उसके आँसू दिख जाते।

तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बादतेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बाद,
क्योंकि, किचड़ हो गया है, बरसात के बाद।

एक वो है जो देखकर भी नहीं जान पातेएक वो है जो देखकर भी नहीं जान पाते,
और हमें बरसात में भी उसके आँसू दिख जाते।

सदाओं को अल्फाज़ मिलने न पाएँसदाओं को अल्फाज़ मिलने न पाएँ,
न बादल घिरेंगे, न बरसात होगी।

आजकल मेरे शहर में बरसात बहुत हैंआजकल मेरे शहर में बरसात बहुत हैं,
किसी को मेरा रोना मालूम नहीं पड़ता।

हमारे शहर आ जाओ सदा बरसात रहती हैहमारे शहर आ जाओ, सदा बरसात रहती है,
कभी बादल बरसते हैं, कभी आँखें बरसती हैं।

मै आज भी अपने मुकद्दर से शर्त लगाता हूँमै आज भी अपने मुकद्दर से शर्त लगाता हूँ,
भरी बरसात में कागज की पतंग उड़ाता हूँ।

जी करता है तेरे संग भीगू मोहब्बत की बरसात मेजी करता है तेरे संग भीगू मोहब्बत की बरसात मे,
और रब करे, उसके बाद तुझे इश्क़ का बुखार हो जाए।

बद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूँबद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूँ,
लेकिन मैंने बरसात में जलते हुए घर देखे है।

गर मेरी चाहतों के मुताबिक जमाने में हर बात होतीगर मेरी चाहतों के मुताबिक, जमाने में हर बात होती,
तो बस मैं होता वो होती, और सारी रात बरसात होती।

बारिश की बूंदों से दिल पे दस्तक होती थीबारिश की बूंदों से दिल पे दस्तक होती थी,
सब मौसम बरसात थे मेरे और दिसम्बर था।

मेरे जीवन में कुछ यूँ उसका आना हुआ जैसेमेरे जीवन में कुछ यूँ उसका आना हुआ जैसे,
बरसात के बाद आसमान में इंद्रधनुष हो।

बचपन की जवानी भीग गई बरसात मेंबचपन की जवानी भीग गई बरसात में,
करोना हो जाएगा चलते हैं घर में।

अब्र आँखों से उठे हैं तेरा दामन मिल जाएअब्र आँखों से उठे हैं तेरा दामन मिल जाए,
हुक्म हो तेरा तो बरसात मुकम्मल हो जाए।

होंठो पे हंसी तो हो मगर आँखों में बरसात ना आयेहोंठो पे हंसी तो हो मगर,
आँखों में बरसात ना आये।

पहली बरसात से धरती को जो सुकून मिलतापहली बरसात से धरती को जो सुकून मिलता,
मेरे लिए वो सुकून हो तुम।

टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख करटूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर,
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए।

अब कौन से मौसम से कोई आस लगायेअब कौन से मौसम से कोई आस लगाये,
बरसात में भी याद ना जब उन को हम आए।

किस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैंकिस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं,
सावन आया लेकिन अपनी क़िस्मत में बरसात नहीं।

तू भेज रंग अपनी मुहोबत के वहां सेतू भेज रंग अपनी मुहोबत के वहां से,
हम भीगेगें उस बरसात में यहाँ से।

बरसात की एक शाम अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरीबरसात की एक शाम, अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरी,
तू आये तो साथ आफ़ताब ले आना।


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