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Home Barsaat Shayari Barsaat Shayari 2 Lines in Hindi - बरसात शायरी 2 लाइन इन हिंदी

संभला ही था दिल तेरी यादों के समंदर से

संभला ही था दिल तेरी यादों के समंदर सेसंभला ही था दिल तेरी यादों के समंदर से,
कि अचानक फ़िर से बरसात हो गई।

बता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादेंबता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है और भीतर भी है।

भीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात मेंभीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात में,
फिर कमज़ोर से इस दिल को इश्क का बुखार पक्का है।

रोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीननरोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीनन,
वर्ना रुख़सत-ए- फ़रवरी में यहाँ बरसात नहीं होती।

संभला ही था दिल तेरी यादों के समंदर सेसंभला ही था दिल तेरी यादों के समंदर से,
कि अचानक फ़िर से बरसात हो गई।

गर मेरी चाहतों के मुताबिक जमाने में हर बात होतीगर मेरी चाहतों के मुताबिक, जमाने में हर बात होती,
तो बस मैं होता वो होती, और सारी रात बरसात होती।

होंठो पे हंसी तो हो मगर आँखों में बरसात ना आयेहोंठो पे हंसी तो हो मगर,
आँखों में बरसात ना आये।

वो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम मेंवो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम में,
मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा।

अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता हैअब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाईयों की।

चीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसातचीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसात,
कटकर भी मरते नहीं, पेड़ों में दिन-रात।

अब कौन से मौसम से कोई आस लगायेअब कौन से मौसम से कोई आस लगाये,
बरसात में भी याद ना जब उन को हम आए।

बरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गएबरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गए,
अक्स आसमान पर जो पड़ा, अब्र छा गए।

कल रोशनी की बरसात थी आज फिर अँधेरी रातकल रोशनी की बरसात थी, आज फिर अँधेरी रात,
बुझते हुए दीयों ने हम को भी बुझा दिया।

धुप सा रंग है और खुद है वो छाँवो जैसाधुप सा रंग है और खुद है वो छाँवो जैसा,
उसकी पायल में बरसात का मौसम छनके।

स्याही का सा एक दाग है दिल मेंस्याही का सा एक दाग है दिल में,
जो धुलता नहीं अश्कों की बरसात में भी।

बचपन की जवानी भीग गई बरसात मेंबचपन की जवानी भीग गई बरसात में,
करोना हो जाएगा चलते हैं घर में।

किस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैंकिस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं,
सावन आया लेकिन अपनी क़िस्मत में बरसात नहीं।

मुझे मालूम है तुमने बहुत बरसातें देखी हैंमुझे मालूम है तुमने बहुत बरसातें देखी हैं,
मगर इन्ही आँखों से सावन हार जाता है।

बारिश की बूंदों से दिल पे दस्तक होती थीबारिश की बूंदों से दिल पे दस्तक होती थी,
सब मौसम बरसात थे मेरे और दिसम्बर था।

जी करता है तेरे संग भीगू मोहब्बत की बरसात मेजी करता है तेरे संग भीगू मोहब्बत की बरसात मे,
और रब करे, उसके बाद तुझे इश्क़ का बुखार हो जाए।

तू भेज रंग अपनी मुहोबत के वहां सेतू भेज रंग अपनी मुहोबत के वहां से,
हम भीगेगें उस बरसात में यहाँ से।


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