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Home Barsaat Shayari Barsaat Shayari 2 Lines in Hindi - बरसात शायरी 2 लाइन इन हिंदी

गुल तेरा रंग चुरा लाए हैं गुलज़ारों में

गुल तेरा रंग चुरा लाए हैं गुलज़ारों मेंगुल तेरा रंग चुरा लाए हैं गुलज़ारों में,
जल रहा हूँ भरी बरसात की बौछारो में।

बरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गएबरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गए,
अक्स आसमान पर जो पड़ा, अब्र छा गए।

सदाओं को अल्फाज़ मिलने न पाएँसदाओं को अल्फाज़ मिलने न पाएँ,
न बादल घिरेंगे, न बरसात होगी।

ख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है उम्र का पानीख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है उम्र का पानी,
वक़्त की बरसात है कि थमने का नाम नहीं ले रही।

होंठो पे हंसी तो हो मगर आँखों में बरसात ना आयेहोंठो पे हंसी तो हो मगर,
आँखों में बरसात ना आये।

मेरे हिस्से की जमीं बंजर थी मै वाकीफ न थामेरे हिस्से की जमीं बंजर थी, मै वाकीफ न था,
बेसबब इल्जाम मै देता रहा बरसात को।

एक रोने से तू मिल जाए तो खुदा की कसमएक रोने से तू मिल जाए तो खुदा की कसम,
इस धरती पे सावन की बरसात लगा दूं।

बहुत प्रेम भरा है इन कच्चे मकानों के दिलों मेबहुत प्रेम भरा है, इन कच्चे मकानों के दिलों मे,
बरसात के पानी को भी अपने अन्दर जगह दे देते हैं।

माँ के अहसान की तादाद अगर कोई पूछे तोमाँ के अहसान की तादाद अगर कोई पूछे तो,
उस से कह दो कि बरसात की बूंदे गिन ले।

चीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसातचीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसात,
कटकर भी मरते नहीं, पेड़ों में दिन-रात।

मिलकर भी उनसे हसरत-ए-मुलाकत रह गईमिलकर भी उनसे हसरत-ए-मुलाकत रह गई,
बादल तो घर आये थे, बस बरसात रह गई।

बता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादेंबता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है और भीतर भी है।

टपक पड़ते है आँसू जब किसी की याद आती हैटपक पड़ते है आँसू जब किसी की याद आती है,
ये वो बरसात है जिसका कोई मौसम नही होता।

भीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात मेंभीगेँगे जो किसी रोज हम मोहब्बत की बरसात में,
फिर कमज़ोर से इस दिल को इश्क का बुखार पक्का है।

पहली बरसात से धरती को जो सुकून मिलतापहली बरसात से धरती को जो सुकून मिलता,
मेरे लिए वो सुकून हो तुम।

अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता हैअब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाईयों की।

धुप सा रंग है और खुद है वो छाँवो जैसाधुप सा रंग है और खुद है वो छाँवो जैसा,
उसकी पायल में बरसात का मौसम छनके।

मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँमैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ,
ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं।

पहले रिम-झिम फिर बरसात और अचानक कडी धूपपहले रिम-झिम फिर बरसात और अचानक कडी धूप,
मोहब्बत ओर अगस्त की फितरत एक सी है।

आ गयी थी एक दिन तन्हाए भी जज़्बात मेंआ गयी थी एक दिन तन्हाए भी जज़्बात में,
आँख से भी कुछ बूँदें गिर पड़ी बरसात में।

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जानेबरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने,
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है।


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