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Home Akelapan Shayari Akelapan Shayari in Hindi- अकेलापन शायरी इन हिंदी

लिखने का कोई शौक नहीं मुझे

लिखने का कोई शौक नहीं मुझेलिखने का कोई शौक नहीं मुझे,
बस खुद को यु उलझाए रखा है इसमें,
क्योंकि इस अकेलेपन में तो बस,
सिर्फ उसकी याद आती हैं।

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तन्हाई मे अकेलापन सहा ना जाएगातन्हाई मे अकेलापन सहा ना जाएगा,
पर महफ़िल मे अकेला रहा ना जाएगा,
उनका साथ ना हो फिर भी जिया जाएगा,
पर उनका साथ कोई और हो ये सहा ना जाएगा।


वो तुम्हारे नज़रिए से अकेलापन हो सकता हैवो तुम्हारे नज़रिए से अकेलापन हो सकता है,
पर मेरे नज़रिए से देखो वो मेरा सुकून है।

सुनो तुम्हारे जाने के बाद हम कभी अकेलापन महसूस ही नहीं कर पायेंसुनो तुम्हारे जाने के बाद हम कभी,
अकेलापन महसूस ही नहीं कर पायें,
क्या करते कमबख्त तनहाईयों को,
मोहब्बत जो हो गई है हमसे।

बढ़ती नजदीकियों को अक्सर जुदाई में बदलते देखा हैबढ़ती नजदीकियों को अक्सर जुदाई में बदलते देखा है,
आज सोचा अपने अकेलेपन से नजदीकी बढ़ा के तो देखूं।

अब इंतज़ार की आदत सी हो गई हैअब इंतज़ार की आदत सी हो गई है,
खामोशी एक हालत सी हो गई है,
ना शिकवा ना शिकायत है किसी से,
क्यूंकी अब अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गई है।

लिखने का कोई शौक नहीं मुझेलिखने का कोई शौक नहीं मुझे,
बस खुद को यु उलझाए रखा है इसमें,
क्योंकि इस अकेलेपन में तो बस,
सिर्फ उसकी याद आती हैं।

अकेलेपन का अज़्मी हो भी तो एहसास कैसे होअकेलेपन का अज़्मी हो भी तो एहसास कैसे हो,
तसलसुल से हमारी शाम-ए-तन्हाई सफ़र में है।

भीड़ में ये अकेलापन मुझसे मिलने जब आयाभीड़ में ये अकेलापन मुझसे मिलने जब आया,
क्या है ये अकेलापन मुझे समझ में तब आया।

तेरे जाने के बाद मैंने कितनों को यु आज़माया हैंतेरे जाने के बाद मैंने कितनों को यु आज़माया हैं,
मगर कोई भी मेरे इस अकेलेपन को दूर नहीं कर पाया हैं।

अजीब है मेरा अकेलापन ना खुश हूँ ना उदास हूँअजीब है मेरा अकेलापन,
ना खुश हूँ ना उदास हूँ,
बस खाली हूँ और खामोश हूँ।

उस की जुस्तजू इंतज़ार और अकेलापनउस की जुस्तजू, इंतज़ार और अकेलापन,
थक कर मुस्कुरा देता हूँ जब रोया नहीं जाता।

अकेलापन क्या होता है कोई ताजमहल से पूछेअकेलापन क्या होता है कोई ताजमहल से पूछे,
देखने के लिए पूरी दुनिया आती है लेकिन रहता कोई नही।

क्या कहें जनाब कि अकेलापन क्यों इतना भाता हैक्या कहें जनाब कि अकेलापन क्यों इतना भाता है,
खुद से बातों में अक्सर यू ही वक्त गुज़र जाता है।

कौन कहता है जनाब ये अकेलापन छलता हैकौन कहता है जनाब ये अकेलापन छलता है,
जब जिंदगी की समझ हो जाए तो खुद का साथ भी भाता है।

यूँ ही बेवजह न मुझे वो खोजता होगायूँ ही बेवजह न मुझे वो खोजता होगा,
शायद उसे भी ये अकेलापन नोचता होगा।

तन्हाइयों के घरौंदे में हम बस गएतन्हाइयों के घरौंदे में हम बस गए,
जो अकेलेपन की दास्तां सुनाई,
तो मेरी बातों पर लोग हँस दिए।

तन्हा दिन तन्हा रातें अकेलेपन में भी याद आती हैं सिर्फ तेरी बातेंतन्हा दिन, तन्हा रातें,
अकेलेपन में भी, याद आती हैं सिर्फ तेरी बातें,
कोशिश कर लूं छुपाने की,
पर बाहर आ ही जाती हैं जज़्बातें।

अकेलापन अब हमे सताता हैअकेलापन अब हमे सताता है,
दिन मे सपने ओर रातो को जागता है।

तुम्हारे जाने के बाद हम कभी अकेलापन महसूस ही नहीं कर पायेंतुम्हारे जाने के बाद हम कभी,
अकेलापन महसूस ही नहीं कर पायें,
क्या करते कमबख्त तनहाईयों को,
मोहब्बत जो हो गई है हमसे।

जनाब कैसे मुकम्मल हो उस इश्क़ की दास्तांजनाब कैसे मुकम्मल हो उस इश्क़ की दास्तां,
जिसकी फितरत में ही अकेलापन होता है।


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