मैं अकेलेपन में खुद को तुमसे छिपाते जा रहे हूँ,
अपनी ही नजरों में खुद को गिराते जा रहा हूँ।
दीप रातों को जलाके रखिये,
फूल काँटों में खिलाके रखिये,
जाने कब घेर ले अकेलापन,
एक-दो दोस्त बनाके रखिये।
अकेलापन क्या होता है कोई ताजमहल से पूछे,
देखने के लिए पूरी दुनिया आती है लेकिन रहता कोई नही।
सुनो तुम्हारे जाने के बाद हम कभी,
अकेलापन महसूस ही नहीं कर पायें,
क्या करते कमबख्त तनहाईयों को,
मोहब्बत जो हो गई है हमसे।
यूँ ही बेवजह न मुझे वो खोजता होगा,
शायद उसे भी ये अकेलापन नोचता होगा।
तुम्हारे जाने के बाद हम कभी,
अकेलापन महसूस ही नहीं कर पायें,
क्या करते कमबख्त तनहाईयों को,
मोहब्बत जो हो गई है हमसे।
तन्हाइयों के घरौंदे में हम बस गए,
जो अकेलेपन की दास्तां सुनाई,
तो मेरी बातों पर लोग हँस दिए।
हम अकेले नही रहते अकेलापन साथ आ जाता है,
हम रोते नही आँखो से दिल का दर्द बयान हो जाता है,
अकेला तो चाँद भी रह जाता है तारो की महफ़िल मे,
जब मानने वाला खुद ही रूठ जाता है।
क्या कहें जनाब कि अकेलापन क्यों इतना भाता है,
खुद से बातों में अक्सर यू ही वक्त गुज़र जाता है।
लिखने का कोई शौक नहीं मुझे,
बस खुद को यु उलझाए रखा है इसमें,
क्योंकि इस अकेलेपन में तो बस,
सिर्फ उसकी याद आती हैं।